सिविल सेवा में चयनित हुए राजस्थान के होनहार युवा - देश की सबसे बड़ी परीक्षा पास करके बने अफसर
जयपुर। संघ लोकसेवा आयोग की ओर से सिविल सेवा परीक्षा 2022 का फाइनल परिणाम जारी कर दिया गया है। बिहार निवासी इशिता किशोर ने 1st रैंक हासिल करते हुए टॉप किया है। इस बार पहली, दूसरी, तीसरी और चौथी रैंक पर लड़कियों ने बाजी मारी है। फर्स्ट रैंक वाली इशिता किशोर के अलावा दूसरे नंबर पर गरिमा लोहिया, तीसरे पर उमा हरथी एन और चौथे स्थान पर स्मृति मिश्रा ने कब्जा जमाया हैं। हर बार की भांति इस बार भी राजस्थान के दर्जनों होनहार युवाओं ने देश की सबसे बड़ी परीक्षा को पास करते हुए सिविल सेवा के लिए चयनित हुए हैं। सुदूर ग्रामीण इलाकों में रहने वाले होनहार युवाओं ने भी अपनी प्रतिभा का लौहा मनवाया है।
सवाई माधोपुर जिले के गंगापुर सिटी के रहने वाले जयप्रकाश सिंह ने सिविल सेवा 2022 की परीक्षा में 85वीं रैंक हासिल की है। झारखंड से आईआईटी मैकेनिकल इंजीनियरिंग करने के साथ जयप्रकाश ने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारीर जारी रखी। पहले प्रयास में उन्होंने 624 वीं रैंक हासिल की थी जबकि अब दूसरे प्रयास में 85वीं रैंक पाई है।
झुंझुनूं जिले के खेतड़ी के पास गौरीर गांव की बेटी सोनू कुमारी पुत्री राजेश मान ने अपने पहले ही प्रयास में इस एक्जाम को क्रेक करते हुए 208वीं रैंक हासिल की है। सोनू ने अपनी सफलता का श्रेय अपने दादा कैप्टन धुकल सिंह मान को दिया है। सोनू बचपन से ही पढाई में काफी होनहार थी। सोनू के पिता राजेश मान वर्तमान में भारतीय सेना में नायब सूबेदार के पद पर देहरादून में तैनात हैं।
नागौर जिले के मेड़ता निवासी डॉ. मुदिता शर्मा का आईएएस में चयन हुआ है। मुदिता ने जनरल कैटेगिरी में 381 वीं रैंक हासिल की है। मुदिता के पिता भगवती लाल शर्मा सीनियर सैकेंडरी स्कूल में प्रिंसिपल हैं। वे चारभूजानाथ मंदिर के पुजारी भी हैं।
जयपुर के गोपालपुरा बाईपास स्थित अर्जुन नगर में रहने वाले अभिजीत ने 440 वीं रैंक हासिल की है। अभिजीत के पिता अनूप सिंह ने बताया कि अभिजीत का यह दूसरा प्रयास था। मुम्बई में बीटेक करने के साथ ही अभिजीत सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी में लगा रहता था। पहले प्रयास में मेंस क्लीयर नहीं हो पाया था जबकि दूसरे प्रयास में अच्छी रैंक मिली है।
बीकानेर निवासी अनुप्रिया चौधरी का भी आईएएस बनने का सपना पूरा हो गया। अनुप्रिया ने 239 वीं रैंक हासिल की है। अनुप्रिया के पिता डॉ. देवेन्द्र चौधरी हेल्थ डिपार्टमेंट में संयुक्त निदेशक हैं।
सीकर जिले के लक्ष्मणगढ निवासी मुकेश ढाका को चौथे प्रयास में सफलता मिली है। ढाका को 755 वीं रैंक मिली है। मुकेश ढाका हाापास गांव के रहने वाले हैं। इनके पिता चिमन सिंह ढाका जयपुर के शासन सचिवालय में जॉइंट एलआर के पद पर कार्यरत हैं।
सीकर जिले के खंडेला निवासी पंकज वर्मा ने ऑल इंडिया में 515वीं रैंक हासिल की है। पंकज धीरजगढ गांव के रहने वाले हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने सेल्फ स्टडी करते हुए यह सफलता हासिल की है। नियमित रूप से 8 घंटे पढाई की और सोशल मीडिया से दूरी बनाए रखी थी। उन्होंने तीन बार सिविल सेवा के एक्जाम दिए लेकिन इंटरव्यू तक पहली बार पहुंचे और उनका चयन हो गया।
सवाई माधोपुर जिले के गंगापुर सिटी के रहने वाले हिमांशु मंगल ने सिविल सेवा परीक्षा में 288 वीं रैंक हासिल की है। हिमांशु के पिता बालमुकुंद मंगल की गंगापुर सिटी में अस्पताल रोड़ पर मेडिकल की दुकान है। हिमांशु ने सीनियर सैकेंडरी की शिक्षा डीएस सांइंस एकेडमी से 2013 में पास की थी। आईआईटी मुम्बई से इंजीनियरिंग करने के बाद पुणे में नौकरी लग गए थे। हिमांशु ने भी यूपीएससी की तैयारी सेल्फ स्टडी करते हुए की।
पाली जिले के छोटे से गांव बूसी निवासी राकेश कुमार पुत्र अमराराम घांची ने तीसरे प्रयास में सिविल सेवा परीक्षा को क्रेक किया। उन्होंने 10वीं तक की पढाई गांव बूसी में ही की थी। बाद में आईआईटी खड़कपुर से ग्रेजुएशन किया।
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