'5 किलो से पेट नहीं भरता मंत्री जी, कम से कम चार रोटी मोटी मोटी चाहिए हमें सुबह शाम' - कांग्रेस विधायक गणेश घोघरा ने सरकार के सामने रखी अहम मांगे,

जयपुर। डूंगरपुर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक गणेश घोघरा ने खाद्य सुरक्षा योजना के तहत दिए जाने वाले गेहूं को अपर्याप्त बताया है। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत प्रति माह केवल 5 किलो गेहूं प्रति व्यक्ति दिया जा रहा है। इतने कम गेहूं से एक व्यक्ति महीने भर अपना पेट नहीं भर सकता। डूंगरपुर विधायक घोघरा ने प्रति माह 10 किलो गेहूं प्रति व्यक्ति देने की मांग की है। मंगलवार 11 मार्च को राजस्थान विधानसभा सहकारिता और खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग की अनुदान मांगें रखी गई। सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों की ओर से अपने अपने क्षेत्र से जुड़ी मांगे सरकार के समक्ष रखी गई। इस दौरान कांग्रेस विधायक गणेश घोघरा की टिप्पणियां और तर्क काफी चर्चित रहे।
हमें कम से कम चार रोटी मोटी मोटी चाहिए सुबह शाम
अपने संबोधन के दौरान कांग्रेस विधायक गणेश घोघरा ने कहा कि पांच किलो गेहूं से हमारा क्या होगा। हम मेहनत करने वाले लोग हैं। पत्थर तोड़ने वाले हैं, खेत जोतने वाले हैं, हल चलाने वाले हैं। मंत्री की ओर इशारा करते हुए घोघरा बोले कि आपकी तरह पुड़ी खाकर पेट नहीं भरता हमारा। कम से कम चार रोटी मोटी मोटी चाहिए हमें सुबह शाम। उन्होंने कहा कि प्रति व्यक्ति केवल 5 किलो गेहूं से घर नहीं चल सकता। घोघरा ने कहा कि हम कुत्ता भी पालते हैं और गाय भी पालते हैं। दो रोटी कुत्ते को और दो रोटी गाय को भी खिलाते हैं। ऐसे में पांच किलो में नहीं चलेगा मंत्री जी, कम से कम प्रति व्यक्ति 10 किलो गेहूं प्रतिमाह दिया जाए।
जनसंख्या के आधार पर राशन की दुकानों में भी मिले आरक्षण
घोघरा ने कहा कि आदिवासी परिवार बेहद गरीब हैं। उनके क्षेत्र में खुलने वाली राशन की दुकानों को भी कोई और लोग चलाते हैं। उन्होंने कई उदाहरण देकर बताया कि वे दुकानें सरकारी ऑनलाइन रिकॉर्ड में एसटी वर्ग के लिए आरक्षित हैं लेकिन उनका संचालन किसी अन्य के पास है। ऐसे में वाजिब और हकदार व्यक्ति को इस योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। घोघरा ने कहा कि जनसंख्या के आधार पर राशन की दुकानों में भी आरक्षण दिया जाना चाहिए। साथ ही गुजरात की तर्ज पर राशन डीलरों को प्रति माह 20 हजार रुपए का मानदेय दिए जाने की मांग की।
पाबंदियों पर उठाए सवाल
कांग्रेस विधायक ने खाद्य सुरक्षा योजना में नाम जोड़ने की पाबंदियों पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार एक लाख रुपए की वार्षिक आय वालों को इस योजना का पात्र नहीं मानती है। एक मजदूर प्रतिदिन मजदूरी करके 300 रुपए कमाता है। इस हिसाब से एक साल के वह 1 लाख 8 हजार रुपए कमा लेता है। यानी दहाड़ी मजदूरी करने वाला व्यक्ति भी इस योजना का पात्र नहीं है। इस पाबंदी को हटाया जाए। चौपहिया वाहन होने पर भी इस योजना का पात्र नहीं होने का मापदंड सही नहीं है क्योंकि आदिवासी क्षेत्र के गरीब परिवार के लोग गुजरात में मेहनत मजदूरी करके अपना जीवन यापन करने और घर चलाने के लिए लोन लेकर सेकिंड हैंड जीप खरीदते हैं। बाद में वे उसकी किस्तें चुकाते हैं। ऐसे लोगों को सरकार पैसे वाला मानते हुए खाद्य सुरक्षा योजना से वंचित कर रही है। यह ठीक नहीं है। ऐसे लोगों के नाम खाद्य सुरक्षा योजना से नहीं काटे जाने का आग्रह किया।
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