अब टोंक के बजाय अजमेर की इस विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे सचिन पायलट - नई सियासी जमीन तलाशने के लिए अजमेर से शुरू की जन संघर्ष यात्रा
जयपुर। कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने पिछले चुनावों में टोंक विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और बीजेपी के यूनुस खान को हराया था। बीजेपी ने एकमात्र मुस्लिम प्रत्याशी यूनुस खान को सचिन पायलट के सामने मैदान में उतारा था लेकिन पायलट ने खान को 54,179 वोटों से हरा दिया। चुनाव जीतने के बाद सचिन पायलट प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बने। अपने विधानसभा क्षेत्र में लगातार सक्रिय भी रहे और काफी विकास कार्य करवाए लेकिन अब सचिन पायलट टोंक से चुनाव नहीं लड़ेंगै। आगामी विधानसभा चुनाव के लिए वे टोंक के बजाय अजमेर जिले की किसी विधानसभा सीट से अपना भाग्य आजमाएंगे। पूर्व में पूर्व में अजमेर लोकसभा सीट से सांसद रह चुके हैं।
जन संघर्ष यात्रा के लिए अजमेर को इसलिए चुना
सचिन पायलट पिछले साढे चार साल से अपनी ही पार्टी की सरकार के मुखिया से खफा है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से नाराजगी के चलते पहले जयपुर में एक दिवसीय अनशन किया और अब जन संघर्ष यात्रा निकाल रहे हैं। जन संघर्ष यात्रा अजमेर से लेकर जयपुर तक निकाली जाएगी। इस यात्रा के लिए पायलट ने अजमेर को इसलिए चुना ताकि वे नई सियासी जमीन तलाश सके। अजमेर में आठ विधानसभा सीटें हैं अजमेर उत्तर, अजमेर दक्षिण, पुष्कर, मसूदा, ब्यावर, नसीराबाद, केकड़ी और किशनगढ। गत चुनावों में इन 8 विधानसभा सीटों में से 5 सीटों पर बीजेपी, 2 सीटों पर कांग्रेस और 1 विधानसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की।
नसीराबाद या मसूदा से किस्मत आजमा सकते हैं पायलट
अजमेर जिले की 8 विधानसभा सीटों में 6 सीटों पर चुनाव जीतना सचिन पायलट के लिए काफी मुश्किल है। नसीराबाद और मसूदा सीट पर पायलट के जीतने की उम्मीद की जा सकती है। नसीराबाद गुर्जर बाहुल्य सीट है और मसूदा में भी गुर्जरों के काफी वोट हैं। ऐसा माना जा रहा है कि आगामी विधानसभा चुनाव के लिए नसीराबाद सचिन पायलट की पहली पसंद है जबकि मसूदा से भी चुनाव लड़ सकते हैं। अजमेर उत्तर और दक्षिण में भाजपा का दबदबा रहा है। अजमेर उत्तर से वासुदेव देवनानी और अजमेर दक्षिण से अनिता भदेल चौथी बार विधायक बने हैं। यहां पायलट की दाल गलना मुश्किल है। पुष्कर, ब्यावर, केकड़ी और किशनगढ़ में भी पायलट की राह आसान नहीं है।
जानिए टोंक में क्या मुश्किलें हैं पायलट के सामने
कांग्रेस नेता सचिन पायलट के लिए टोंक में अब चुनाव जीतना नामुमकिन हो गया है। पहली बात तो यह कि कांग्रेस की अंदरुनी कलह के कारण पायलट को पार्टी की ओर से चुनावी फायदा मिलना मुश्किल है। दूसरा टोंक मुस्लिम बाहुल्य सीट है। इस सीट पर आगामी चुनावों में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम भी चुनाव लड़ेगी। ओवैसी टोंक में बड़ी जन सभाएं भी कर चुके हैं। मुस्लिम वोट खिसकने से कांग्रेस प्रत्याशी के लिए टोंक में चुनाव जीतना आसान नहीं होगा।
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