झूठा था राजस्थान का MLA खरीद फरोख्त प्रकरण...?, ACB की क्लोजर रिपोर्ट से खत्म हुआ पूरा मामला, 5 साल पहले देशभर में गूंजा था यह प्रकरण - BJP के प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ बोले - गहलोत के झूठ की खुल गई पोल

जयपुर। आपको याद होगा राजस्थान में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय जुलाई 2020 में विधायकों की खरीद फरोख्त का बड़ा विवाद सामने आया था। गहलोत राज के समय वर्ष 2020 में एसओजी में इस संबंध में केस भी दर्ज हुआ। एसओजी के तत्कालीन अधिकारियों ने भरत मालानी और अशोक सिंह नाम के दो कारोबारियों को इस केस में गिरफ्तार भी किया था। बाद में क्षेत्राधिकार का हवाला देते हुए एसओजी ने इस केस पर एफआर लगाई तो एसीबी ने प्रकरण दर्ज कर लिया। इस मामले में अब एसीबी ने एफआर पेश कर दी। ऐसे में इस प्रकरण में गिरफ्तार भरत मालानी और अशोक सिंह को राजस्थान हाईकोर्ट ने ससम्मान बरी कर दिया है। अब भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने पूर्व मुख्यमंत्री पर आरोप लगाया है कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए एसओजी और एसीबी में झूठे प्रकरण दर्ज कराए थे। अब गहलोत के झूठ की पोल खुल गई है।
महेश जोशी ने दर्ज कराई थी शिकायत
पूर्ववर्ती सरकार के समय तत्कालीन मुख्य सचेतक महेश जोशी ने एसओजी में संदिग्ध मोबाइल नंबर देते हुए शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने कहा कि कुछ लोग सरकार को अस्थिर करना चाहते हैं। एसओजी के तत्कालीन अधिकारियों ने संदिग्ध मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर लेकर रिकॉर्डिंग सुनी। बाद में केस दर्ज करते हुए ब्यावर निवासी भरत मालानी और उदयपुर निवासी अशोक सिंह को गिरफ्तार किया था। ये दोनों कारोबारी भाजपा से जुड़े हुए थे। बाद में यह केस एसीबी में दर्ज हुआ था। इस मामले में तीन तत्कालीन विधायक ओमप्रकाश हुड़ला, सुखबीर सिंह जोजावर और सुरेश टांक के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की थी।
हाईकोर्ट ने दोनों आरोपियों किया बरी
राजस्थान हाईकोर्ट ने इस मामले में भरत मालानी और अशोक सिंह को ससम्मान बरी कर दिया है। ूंकि इस केस में एसीबी की ओर से एफआर यानी क्लोजर रिपोर्ट पेश की थी। ऐसे में अब इस प्रकरण में आरोपियों और आरोपों को कोई औचित्य नहीं रहा। क्लोजर रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट ने कारोबारी भरत मालानी और अशोक सिंह को बरी कर दिया। इस मामले कारोबारी भरत मालानी और अशोक सिंह को करीब एक महीने तक जेल में रहना पड़ा था।
भाजपा से जुड़े नेताओं को बनाया टारगेट
भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने कहा कि ब्यावर निवासी भरत मालानी और उदयपुर निवासी अशोक सिंह को सहसम्मान बरी किए जाने का निर्णय इस बात का प्रमाण है कि कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार ने अपने कार्यकाल में विपक्ष से जुड़े निर्दोष व्यक्तियों को राजनीतिक षड्यंत्र का शिकार बनाया। उन्होंने कहा कि सन 2020 में अशोक गहलोत सरकार ने एसओजी और एसीबी का दुरुपयोग कर झूठे मुकदमे दर्ज करवाए, ताकि अपनी ही आंतरिक फूट और सत्ता संघर्ष को छुपाया जा सके। इस दौरान निर्दोष व्यक्तियों को लगभग एक माह तक जेल में रहना पड़ा। आज न्यायालय द्वारा एसीबी की प्रस्तुत FR के आधार पर दोनों को बरी करना कांग्रेस सरकार की साजिशों और झूठे मुकदमों की पोल खोलता है।
सच को दबाया नहीं जा सकता - राठौड़
राठौड़ ने कहा कि कांग्रेस ने उस समय अपने ही अंदरूनी संघर्ष और सचिन पायलट को कमजोर करने के लिए भाजपा समर्थित व्यक्तियों को टारगेट किया, लेकिन सच को दबाया नहीं जा सकता। आज न्यायालय ने साबित कर दिया है कि कांग्रेस की कथनी और करनी में कितना बड़ा अंतर है। उन्होंने कहा कि यह फैसला कांग्रेस की नाकाम राजनीति और झूठ की हार है तथा लोकतंत्र और न्याय की जीत है। राठौड़ ने कहा कि जनता सब देख रही है और कांग्रेस द्वारा रचे गए ऐसे षड्यंत्रों का परिणाम कांग्रेस को आने वाले चुनावों में भुगतना होगा। राठौड़ ने याद दिलाया कि उस समय अशोक गहलोत ने अपनी सरकार बचाने के लिए विधायकों को महीनों तक होटल में कैद रखा और वहां से सरकार चलाई। यह लोकतंत्र के साथ खिलवाड़ और सत्ता के लिए कांग्रेस का एक और काला अध्याय था। उसे छिपाने के लिए भाजपा कार्यकर्ताओं पर झूठे मुकदमे लगा दिए गए थे।
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