जयपुर ट्रैफिक पुलिस ने सरकार को बता दिया भ्रष्ट, फजीहत हुई तो डिलीट किया प्रेसनोट - भाजपा द्वारा लगाए गए आरोपों को हूबहू किया कॉपी पेस्ट
जयपुर। सोमवार 12 जून की देर शाम को जयपुर ट्रैफिक पुलिस ने राज्य सरकार को भ्रष्ट बताते हुए प्रेसनोट जारी कर दिया। सभी मीडिया संस्थानों को प्रेसनोट ईमेल किया गया। वाट्सएप के जरिए मीडियाकर्मियों के ग्रुप में वायरल करने के साथ अपने फेसबुक और ट्विटर पेज पर पोस्ट कर दिया। प्रेसनोट जारी होने कुछ ही देर बाद सवाल उठने लगे तो आनन फानन में ट्विटर और फेसबुक पेज से प्रेसनोट को डिलीट किया गया। कुछ देर बाद संशोधित प्रेसनोट मीडिया हाउसेस को दोबारा भेजा गया।
बीजेपी के आरोपों को हूबहू कॉपी पेस्ट कर दिया
दरअसल 13 जून को बीजेपी की ओर से राज्य सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन प्रस्तावित था। बड़ी संख्या में बीजेपी कार्यकर्ताओं के शामिल होने की सूचना पर जयपुर ट्रैफिक पुलिस ने यातायात व्यवस्थाओं में बदलाव करते हुए आमजन की सुविधा के लिए प्रेसनोट जारी किया ताकि प्रदर्शन के दौरान वैकल्पिक मार्गों का उपयोग किया जा सके। पुलिस के इस प्रेसनोट में बीजेपी के आरोपों को हूबहू कॉपी पेस्ट कर दिया गया। यानी जयपुर पुलिस की ओर से जारी प्रेसनोट में भी प्रदेश की कांग्रेस सरकार की अकर्मण्यता, भ्रष्टाचार, किसान, युवा, महिला और दलित विरोधी बताते हुए बीजेपी के प्रस्तावित कार्यक्रम के मद्देनजर यातायात डायवर्जन करना बताया गया। जैसे ही सोशल मीडिया पर पुलिस के इस प्रेसनोट का विरोध होने लगा तो इसे डिलीट कर दिया गया।
पिछले साल जिला कलेक्ट्रेट से जारी प्रेसनोट ने भी कराई किरकिसी
गतवर्ष जब फिल्म द कश्मीर फाइल्स का प्रदर्शन होना था। उस समय कोटा जिला प्रशासन द्वारा इलाके में धारा 144 लगाने के आदेश जारी किए गए। इन आदेशों में आगामी दिनों में आ रहे तीज त्योहार जैसे चेटीचंड, महावीर जयंती, गुड फ्राइडे, वैशाखी, जुमातुल विदा आदि और सिनेमाघरों में प्रदर्शित हो रही फिल्म द कश्मीर फाइल्स और नहरों में जल जनित हादसों के बाद उत्पन्न कानून व्यवस्था की स्थिति के मद्देनजर यह निर्णय लेना बताया गया। चूंकि द कश्मीर फाइल्स फिल्म बेन नहीं थी। ऐसे में इस फिल्म का जिक्र करते हुए प्रेसनोट जारी करने पर विरोध हुआ। बाद में जिला कलेक्ट्रेट कोटा द्वारा संशोधित प्रेसनोट जारी करके साफ किया गया कि द कश्मीर फाइल्स फिल्म को लेकर ये आदेश नहीं निकाले गए हैं।
एसीबी के कार्यवाहक डीजी के आदेश से भी हुई फजीहत
एसीबी के पूर्व डीजी बीएल सोनी के सेवानिवृत्त होने के अगले ही दिन एडीजी हेमन्त प्रियदर्शी को एसीबी के डीजी का चार्ज सौंपा गया। कार्यवाहक डीजी बनते ही हेमन्त प्रियदर्शी ने आदेश जारी किया कि एसीबी द्वारा जो भी अधिकारी कर्मचारी ट्रेप किया जाएगा। उनके नाम और फोटो सार्वजनिक नहीं किया जाएंगे। कोर्ट का अंतिम फैसला आने तक नाम और फोटो गोपनीय रखना होगा। गोपनीयता रखने की जिम्मेदारी भी ट्रेप करने वाले और जांच करने वाली अधिकारी को दी गई। इस आदेश का प्रदेशभर में विरोध किया गया। सरकार के मंत्रियों ने भी एसीबी के कार्यवाहक डीजी के इस आदेश को गलत बताया और कहा कि रिश्वतखोर अफसरों के नाम तो उजागर होने चाहिए। दो दिन बाद एसीबी के कार्यवाहक डीजी को पूर्व में जारी आदेश को निरस्त करने के आदेश निकालने पड़े।
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