डॉ. किरोड़ी लाल मीणा का इस्तीफा ना स्वीकार, ना अस्वीकार, पशोपेश में है भजनलाल सरकार - अपनी ही सरकार को चुनौती देते रहे हैं डॉ. किरोड़ी लाल मीणा, उपचुनाव में पार्टी को नुकसान का डर
जयपुर। भाजपा के वरिष्ठ नेता और भजनलाल सरकार में कैबिनेट मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा बड़े बड़े घोटालों के खुलासों के लिए चर्चित रहे हैं। सरकार चाहे कांग्रेस की हो या भाजपा की। दोनों ही दलों की सरकारों में डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ऐसे मुद्दे लेकर जनता के बीच आते हैं जिससे सरकारें हिल जाती है। सरकार के प्रतिनिधि और ब्यूरोक्रेसी के अफसर यह समझ नहीं पाते कि वे जवाब दें तो क्या दें। भजनलाल सरकार में कैबिनेट मंत्री डॉ. मीणा चार महीने पहले मंत्री पद से इस्तीफा दे चुके लेकिन सरकार के मुखिया या पार्टी हाईकमान उनके इस्तीफे पर फैसला नहीं ले पा रहे हैं। सरकार और पार्टी को यह डर है कि इस्तीफा स्वीकार कर लिया तो कहीं उपचुनाव में पार्टी को खामियाजा नहीं भुगतना पड़ जाए।
इस्तीफा ना तो स्वीकार, ना अस्वीकार
4 जून को लोकसभा चुनाव का परिणाम आया था। राजस्थान में अपेक्षा के मुताबिक चुनाव परिणाम नहीं आए तो कैबिनेट मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इस्तीफा देने का खुलासा खुद डॉ. मीणा ने एक महीने बाद 4 जुलाई को किया था जब विधानसभा सत्र चल रहा था। मंत्री होने के नाते उन्हें विभागीय सवालों के जवाब देने थे लेकिन वे सदन नहीं पहुंचे। उन्होंने मंत्री के दफ्तर जाना छोड़ दिया। सरकारी बंगले और गाड़ी का इस्तेमाल करना भी बंद कर दिया। जून, जुलाई, अगस्त और सितंबर चार महीने बीत गए। डॉ. मीणा के इस्तीफे पर अभी तक कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है। ना तो इस्तीफे को स्वीकार किया गया है और ना ही अस्वीकार।
अपनी ही पार्टी को चुनौती देते रहे हैं डॉ. मीणा
डॉ. किरोड़ीलाल मीणा ऐसे ऐसे मुद्दे उठाते हैं जो सरकार के लिए सिरदर्द बन जाते हैं। वर्तमान में उनकी पार्टी की सरकार है लेकिन डॉ. मीणा ने ऐसे मुद्दे उठा रखे हैं जिसके बारे में सरकार को जवाब नहीं दे पा रही है। भाजपा के सत्ता में आने से पहले डॉ. मीणा ने पेपर लीक का मुद्दा उठाया था। प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद उन्होंने सब इंस्पेक्टर भर्ती 2021 को रद्द करने की मांग उठाई। अपनी ही पार्टी की सरकार होने के बावजूद डॉ. मीणा की मांग नहीं मानी जा रही है। एसआई भर्ती रद्द करने की मांग को लेकर वे सीएम भजनलाल शर्मा से भी मिल चुके हैं। पिछले दिनों डॉ. मीणा ने आरपीएससी के तीन पूर्व अध्यक्ष के खिलाफ सबूत पेश करते हुए आरपीएससी की भर्तियों में हुई गड़बड़ियों का खुलासा किया था। उनका दावा है कि आरएएस भर्ती 2018 की टॉपर 1 करोड़ रुपए देकर अफसर बनी। उसे 7 दिन पहले ही पेपर मिल गया था। डॉ. मीणा ने सरकार के जांच की मांग की लेकिन सरकार निर्णय नहीं ले पा रही है। पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में डीओआईटी में हुए घोटालों का खुलासा करने के बाद डॉ. मीणा ने जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की लेकिन सरकार मौन धारण करके बैठी है। बड़े बड़े मुद्दे उठाकर डॉ. मीणा अपनी ही पार्टी की सरकार को चुनौती देते रहे हैं लेकिन सरकार और पार्टी साइलेंट मोड पर हैं।
उप चुनाव में नुकसान होने का डर
आगामी दिनों में राजस्थान की 7 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं। इनमें खींवसर, झुंझुनूं, दौसा, देवली उनियारा, चौरासी, सलूंबर और रामगढ़ शामिल है। ये 7 विधानसभा सीटें 7 अलग अलग जिलों में हैं। इनमें से 5 जिलों (दौसा, टोंक, डूंगरपुर, अलवर और उदयपुर) में डॉ. मीणा का अच्छा प्रभाव है। डॉ. मीणा की नाराजगी से बीजेपी को नुकसान होना स्वाभाविक माना जा रहा है। संभवतया यही कारण है कि बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व और प्रदेश की सरकार के मुखिया डॉ. मीणा के इस्तीफे पर कोई फैसला नहीं ले पा रहे हैं। संभवतया उपचुनाव के बाद पार्टी के राष्ट्रीय स्तर पर कोई निर्णय होने की संभावना है।
प्रदेशाध्यक्ष के दावे को खारिज कर चुके डॉ. मीणा
बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि डॉ. किरोड़ी लाल मीणा मंत्री के रूप में काम कर रहे हैं। वे रोज विभाग की फाइलें निकाल रहे हैं। उधर डॉ. मीणा का कहना है कि वे विधायक के नाते काम कर रहे हैं। विधायक होने के नाते क्षेत्र और प्रदेश के प्रति उनकी जो जिम्मेदारी है, उसे वे निभा रहे हैं। मदन राठौड़ और डॉ. किरोड़ीलाल मीणा के दावे एक दूसरे के विपरीत हैं। सच्चाई क्या है, इसके बारे में वे दोनों ही जानते हैं।
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