हर हाल में सरकार रिपीट करने के मूड में कांग्रेस, रालोद सहित कुछ अन्य दलों के साथ गठबंधन होना तय - भारतीय आदिवासी पार्टी और माकपा के साथ भी गठबंधन की चर्चाएं
जयपुर। राजस्थान में सरकार रिपीट करने का संकल्प लेकर चल रही कांग्रेस इन विधानसभा चुनाव में अन्य दलों के साथ गठबंधन करने वाली है। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने राष्ट्रीय लोकदल के साथ गठबंधन किया था। रालोद के टिकट पर सुभाष गर्ग ने भरतपुर सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इसके बाद सुभाष गर्ग गहलोत सरकार में मंत्री भी बने। इस बार के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस का राष्ट्रीय लोकदल के साथ गठबंधन जारी रहेगा। भरतपुर सीट से सुभाष गर्ग को फिर से प्रत्याशी बनाया जाना तय माना जा रहा है।
माकपा के समक्ष प्रस्ताव रख चुकी कांग्रेस
कांग्रेस इस बार कोई रिस्क लेना नहीं चाहती। सत्ता हासिल करने के लिए अन्य दलों का पूरा सहयोग लेने की कोशिशें जारी हैं। जानकारों के मुताबिक कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के शीर्ष नेतृत्व के समक्ष गठबंधन का प्रस्ताव रखा है। कुछ दौर की वार्ताएं भी हो चुकी है लेकिन फिलहाल माकपा की ओर से कोई निर्णय नहीं लिया गया है। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनावों में माकपा के दो प्रत्याशी विधायक बने थे। दोनों विधायक गहलोत सरकार के समर्थन में रहे। माकपा के एक विधायक बलवान पूनिया ने दो राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के समर्थन में मतदान भी किया।
भारतीय आदिवासी पार्टी से भी चल रही गठबंधन की बात
आदिवासी इलाकों में पिछली बार भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) के दो विधायक चुने गए थे। इन दोनों विधायकों राजकुमार रोत और रामप्रसाद डिंडोर ने गहलोत सरकार को समर्थन दिया। पिछले दिनों इन दोनों विधायकों ने बीटीपी छोड़ दी और नवगठित भारतीय आदिवासी पार्टी (बीएपी) में शामिल हो गए। कांग्रेस इन दोनों विधायकों के साथ आदिवासी समुदाय के वरिष्ठ नेताओं के संपर्क में है। ऐसा माना जा रहा है कि कांग्रेस और बीएपी का गठबंधन अंतिम चरण में है। कुछ आदिवासी सीटों पर गठबंधन के तहत कांग्रेस बीएपी के प्रत्याशियों का समर्थन करेगी।
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