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हार पर रार... भाजपा नेता देवी सिंह भाटी ने राजेंद्र राठौड़ पर फोड़ा हार का ठीकरा - कहा - 'राहुल कस्वां का टिकट कटवा कर पूरा माहौल खराब कर दिया'

हार पर रार... भाजपा नेता देवी सिंह भाटी ने राजेंद्र राठौड़ पर फोड़ा हार का ठीकरा

 

जयपुर। लोकसभा चुनाव में राजस्थान की 11 सीटों पर हुई भाजपा की हार ने संगठन पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। पार्टी हाईकमान ने प्रदेश नेतृत्व से रिपोर्ट मांगी है। शनिवार और रविवार को प्रदेश मुख्यालय में हुई समीक्षा बैठक के बाद सोमवार को सीएम भजनलाल शर्मा दिल्ली पहुंची और पीएम मोदी को रिपोर्ट सौंपी। इसी बीच प्रदेश के वरिष्ठ भाजपा नेता देवी सिंह भाटी ने अपनी ही पार्टी के वरिष्ठ नेता को हार का जिम्मेदार ठहरा दिया। पूर्व मंत्री और 7 बार विधायक रहे देवी सिंह भाटी का कहा कि पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि राठौड़ ने राहुल कस्वां का टिकट कटवा कर पूरे चुनाव का माहौल ही खराब कर दिया। वरना पार्टी अच्छा प्रदर्शन करती।

 

राहुल कस्वां का टिकट काटना सबसे घातक - भाटी

 

पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी सोमवार को बीकानेर में मीडिया से रूबरू हुए। बातचीत के दौरान उन्होंने कांग्रेस सांसद राहुल कस्वां की तारीफ की। उन्होंने कहा कि राहुल कस्वां अच्छा काम कर रहे थे। लगातार जीत दर्ज कर रहे थे लेकिन राजेंद्र राठौड़ ने द्वैषतापूर्वक उनका टिकट कटवा दिया। पार्टी का यह निर्णय गलत था। राहुल कस्वां का टिकट काटने से जाट वोट छिटक गए और पार्टी को बड़ा नुकसान झेलना पड़ा।

 

वरना बीजेपी को झोली भर जाती

 

भाटी ने कहा कि राजेंद्र राठौड़ ने टिकट वितरण में मनमानी की। न केवल चूरू से राहुल कस्वां का टिकट कटवाया। बल्कि अन्य सीटों पर भी बेवजह दखल दिया। उन्होंने नाम लेकर कहा कि राजेंद्र राठौड़ ने पूरा माहौल खराब कर दिया था। यही वजह रही ही कुछ सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में उतर गए और वे भाजपा को ले डूबे। बाड़मेर में निर्दलीय प्रत्याशी के मैदान में उतरने की वजह राठौड़ ही हैं। अगर टिकट वितरण सही तरीके से होता तो लोकसभा चुनाव में भाजपा की झोली भर जाती।

 

संगठन ने भी सही काम नहीं किया

 

पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी ने प्रदेश संगठन को भी लपेटे में लिया। उन्होंने कहा कि बूथ स्तर तक संगठन की कड़ियां जुड़ी हुई है लेकिन आपसी तालमेल नहीं होने की वजह से मतदाताओं को खींच नहीं पाए। पन्ना प्रमुख, बूथ प्रभारी, मंडल अध्यक्ष सहित लोकल लेवल पर कार्य करने वालों पर ध्यान नहीं दिया और वे भी गंभीर नहीं हुए। कई परिवारों के नाम वोटर लिस्ट से गायब थे। ऐसी गलतियों को समय रहते सुधारा जा सकता था लेकिन ऐसा नहीं किया जा सका। भाटी ने कहा कि संगठन केवल नाम से नहीं चलता बल्कि उसे चलाने का सिस्टम तय होना चाहिए। हर लेवल पर लापरवाही और गड़बड़ियां होती रही। इसी का परिणाम यह रहा कि चुनाव में पार्टी की स्थिति खराब हो गई।

 

मुख्यमंत्री से बड़े बन गए मुख्य सचिव

 

देवी सिंह भाटी का कहना है कि ऐसा सुनने में आ रहा है कि मुख्य सचिव के कमरे के आगे विधायक लाइन में लगे रहते हैं। अगर ऐसा है यह शर्मनाक स्थिति है। विधायकों का जनप्रतिनिधि बनना ही बेकार हो गया। जब विधायकों के ये हालात हैं तो पार्षद और पंचायत राज के पदाधिकारी की क्या स्थिति होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। भाटी ने कहा कि कम से कम कांग्रेस के राज में ऐसी स्थिति तो नहीं थी। तब ब्यूरोक्रेसी काबू में थी। अब तो मुख्य सचिव अपने आप को मुख्यमंत्री से बड़ा मानते हैं।

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