परिष्कार कॉलेज में 'विज्ञान व साहित्य : दूरियां नजदीकियां' विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी सम्पन्न - 'साहित्य' विज्ञान से ज्यादा मनोविज्ञान है :- ओम थानवी
जयपुर। राजस्थान साहित्य अकादमी, भारत ज्ञान विज्ञान समिति एवं परिष्कार कॉलेज ऑफ ग्लोबल एक्सीलेंस (ऑटोनॉमस) के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ। इस संगोष्ठी में 'साहित्य में वैज्ञानिक चेतना और दृष्टिकोण', 'वैज्ञानिक चेतना के जनसंप्रेषण में साहित्य की भूमिका', 'मानवीय समाज बनाने में साहित्य और विज्ञान की भागीदारी' और 'अंधविश्वास और अवैज्ञानिकता के विरोध में साहित्य' विषय पर सेमिनार हुए। छह अलग अलग में ख्यातिलब्ध साहित्यकारों और वैज्ञानिकों ने अपने विचार एवं शोध निष्कर्ष प्रस्तुत किये।
विज्ञान और साहित्य एक दूसरे के पूरक हैं - गौहर राजा
प्रसिद्ध वैज्ञानिक एवं साहित्यकार गौहर रजा ने विज्ञान एवं साहित्य के अंतर्संबंधों पर चर्चा करते हुए कहा कि विज्ञान हमें ज्ञान देता है और साहित्य समझ के साथ संवेदना का अहसास कराता है। विज्ञान और साहित्य एक दूसरे के पूरक हैं। समापन सत्र को संबोधित करते हुए वरिष्ठ पत्रकार एवं हरिदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति ओम थानवी ने कहा कि साहित्य विज्ञान से ज्यादा मनोविज्ञान है, जो हमारी चेतना को जगाता है। हमें अंधविश्वासी नहीं बनकर वैज्ञानिकता में विश्वास करना चाहिए।
परिष्कार कॉलेज के निदेशक ने स्मृति चिन्ह देकर किया सम्मानित
संगोष्ठी में वरिष्ठ साहित्यकार जीवन सिंह, प्रमोद गौरी, सूरज पालीवाल, संदीप मील, अनन्त भटनागर, गीतांजलि यादव, शैलेंद्र सिंह, रेणु व्यास, नंद भारद्वाज, रवि श्रीवास्तव, सुरजीत सिंह, विनीता परमार, मनु शर्मा, विशाल विक्रम सिंह, मायामृग, भंवर मेघवंशी, आलोक श्रीवास्तव, हिमांशु पांड्या, भरत मीना ने भी अपने विचार रखे। संगोष्ठी की संयोजिका कोमल श्रीवास्तव ने बताया कि देशभर के 175 साहित्यकार, वैज्ञानिक, समीक्षक, शिक्षक एवं विद्यार्थी इस संगोष्ठी में शामिल हुए। परिष्कार कॉलेज के निदेशक डॉ राघव प्रकाश और प्राचार्या प्रो. सविता पाईवाल ने संगोष्ठी में शामिल सभी वक्ताओं को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। साथ ही सभी प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापित किया।
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