जेल में बंद बर्खास्त वाइस प्रिंसिपल शेरसिंह मीणा का प्रमोशन...! - पेपर लीक मामले में डेढ़ महीने से है जेल में, राज्य सरकार कर चुकी बर्खास्त
जयपुर। पेपर लीक मामले में जिस वाइस प्रिंसिपल को राज्य सरकार ने डेढ़ महीने पहले ही बर्खास्त कर दिया था। शिक्षा विभाग ने उसी का प्रमोशन करते हुए वाइस प्रिंसिपल से प्रिंसिपल बना दिया। जैसे ही शिक्षा विभाग की इस कारस्तनी का यह मामला सामने तो आनन फानन में शिक्षा निदेशालय ने प्रमोशन ऑर्डर को अपनी विभागीय वेबसाइड से डिलीट कर दिया। निदेशालय से इतनी बड़ी चूक कैसे हुई। यह बड़ा गंभीर मामला है। शिक्षा नदेशालय के एडिशनल डायरेक्टर संदीप जैन ने इतना ही तर्क दिया है कि यह चूक किस स्तर पर हुई है। इसकी जांच करवाई जाएगी।
26 मई को डीपीसी के जरिए किया गया प्रमोशन
शिक्षा निदेशालय बीकानेर की ओर से 26 मई को डीपीसी के जरिए होने वाले प्रमोशन की सूची जारी करते हुए ऑर्डर निकाला था। इस सूची में 46 स्थान पर सिरोही जिले के राजकीय महात्मा गांधी स्कूल भावरी के वाइस प्रिंसिपल रहे शेरसिंह मीणा का नाम है। वरिष्ठ अध्यापक भर्ती परीक्षा के पेपर लीक मामले में शेरसिंह मीणा को सरकार नौकरी से बर्खास्त कर चुकी है लेकिन शिक्षा निदेशालय ने शेर सिंह का प्रमोशन कर दिया। जैसे ही यह खबर सोशल मीडिया पर वायरल हुई तो हड़कंप मच गया। अब शिक्षा निदेशालय इस मामले को रफा दफा करने में जुटा है।
1 करोड़ रुपए में पेपर खरीद कर आगे बेचा था शेरसिंह ने
दिसंबर 2022 में वरिष्ठ शिक्षक भर्ती परीक्षाएं हो रही थी। इस परीक्षा का पेपर शेर सिंह मीणा ने दो तीन महीने पहले ही खरीद लिया था। आरपीएससी सदस्य बाबुलाल कटारा से 60 लाख रुपए नकद देकर पेपर खरीदा था। बाद जयपुर के शास्त्री नगर स्थित एक टाइपिंग की दुकान से पेपर टाइप करवाया। फिर पेपर लीक माफिया सुरेश ढाका और भूपेन्द्र सारण को बेच दिया था। 24 दिसंबर को उदयपुर पुलिस ने पेपर लीक प्रकरण का खुलासा किया था। इस मामले में आरपीएससी सदस्य बाबुलाल मीणा, उनका भांजा विजय, ड्राइवर गोपाल सिंह और शेर सिंह मीणा सहित 60 से ज्यादा आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं। कटारा, शेर सिंह सहित कई आरोपी फिलहाल जेल में है लेकिन जेल में रहते हुए भी बर्खास्त वाइस प्रिंसिपल शेर सिंह मीणा का प्रमोशन कर दिया गया।
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