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जयपुर के पास बन रहा राजस्थान का पहला वेस्ट टू एनर्जी प्लांट, कचरे से बनेगी बिजली, एक घंटे में 12000 यूनिट उत्पादन - मार्च 2025 तक पूरा होगा काम, मुंबई, पुणे, दिल्ली, जबलपुर और इंदौर जैसे बड़े शहरों में पूर्व से बने हुए हैं ऐसे प्लांट

जयपुर के पास बन रहा राजस्थान का पहला वेस्ट टू एनर्जी प्लांट, कचरे से बनेगी बिजली, एक घंटे में 12000 यूनिट उत्पादन

 

जयपुर। राजस्थान की राजधानी जयपुर के पास स्थित जमवारामगढ रोड वेस्ट टू एनर्जी का प्लांट लगाया जा रहा है। पहली बार इस प्लांट में कचरे से बिजली बनाई जाएगी। मुंबई, पुणे, दिल्ली, जबलपुर और इंदौर जैसे बड़े शहरों में ऐसे प्लांट पूर्व में लगाए जा चुके हैं और वहां कचरे से बिजली का उत्पादन किया जा रहा है। राजस्थान में 180 करोड़ रुपए की लागत से यह प्लांट तैयार किया जा रहा है। प्लांट का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। मार्च 2025 तक इसका निर्माण कार्य पूरा होने की संभावना है। इस प्लांट में उत्पादित होने वाली बिजली अगले साल से जयपुर शहर सप्लाई की जाएगी।

 

कचरे के साथ सीवरेज का पानी की इस्तेमाल होगा

 

जयपुर नगर निगम के कमिश्नर अभिषेक सुराणा का कहना है कि जमवारामगढ रोड पर लांगडियावास गांव में बन रहे इस प्लांट में कचरे के साथ सीवरेज के वेस्ट पानी का भी इस्तेमाल किया जाएगा। नगर निगम ग्रेटर और हेरिटेज क्षेत्र में वाहनों के जरिए डोर डू डोर कचरा संग्रहण किया जाता है। आगामी दिनों में अलग अलग कचरा डिपो से सारे कचरे को इस प्लांट में भेजा जाएगा। कचरे को प्रोसेस करके बिजली का उत्पादन किया जाएगा। कचरे के साथ शहर की सीवरेज के पानी को भी बिजली उत्पादन के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। सुराणा ने कहा कि संभवतया अगले साल से बिजली का उत्पादन शुरू कर लिया जाएगा। लागड़ियावास प्लांट में बनने वाली बिजली को जयपुर शहर में सप्लाई किया जाएगा।

 

जानिए कचरे से कैसे बनाई जाएगी बिजली

 

निगम के अधिकारियों के मुताबिक सबसे शहर से लाए गए कचरे का आरडीएफ (रेजिडूय ड्राई फ्यूल) बनाया जाएगा। इस आरडीएफ को बाउलर में यूज किया जाएगा। बाउलर से हीट और स्टीम बनेगी। हीट से पावर जनरेट होगी और स्टीम को फिर से पानी में बदला जाएगा। यह लगातार रिसाइकिल होता रहेगा। प्रोसेसिंग के दौरान निकलने वाली गैसों का भी एफजीडी और बैक फिल्टर में ट्रीटमेंट होगा। ये प्रोसेस पूरे 24 घंटे चलता रहेगा। अनुमान है कि प्लांट में प्रतिदिन करीब 1 हजार टन कचरे की खपत होगी। इससे एक घंटे में 12 मेगावाट यानी 12 हजार यूनिट बिजली का उत्पादन होता रहेगा।

 

एक साल में 9.5 करोड़ यूनिट बिजली का उत्पादन

 

वेस्ट टू एनर्जी प्लांट में लगातार 24 घंटे प्रोसेसिंग चलती रहेगी। साल में 365 दिन होते हैं लेकिन मेंटेनेंस और अन्य कार्यों के चलते करीब 35 दिन प्रोसेसिंग सिस्टम को बंद रखा जाएगा। साल में 330 दिन प्लांट चलता रहेगा। अनुमान के मुताबिक पूरे साल में करीब 3.30 लाख टन कचरे की खपत होगी। इससे 95 हजार मेगावाट यानी 9.5 करोड़ यूनिट बिजली का उत्पादन होगा। प्लांट में उत्पादित होने वाली बिजली ग्रिड सिस्टम के जरिए डिस्कॉम को सप्लाई होगी और फिर डिस्कॉम से शहर की अलग अलग कॉलोनियों में सप्लाई की जाएगी।

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