भीड़ का कोई चेहरा नहीं होता...! इंस्पेक्टर फूल मोहम्मद हत्याकांड के सभी दोषियों की सजा स्थगित - हाईकोर्ट ने माना - हत्याकांड पूर्व नियोजित नहीं था
जयपुर, मार्च 2011 में सवाई माधोपुर जिले के सूरवाल गांव में हुए इंस्पेक्टर फूल सिंह हत्याकांड के सभी 30 आरोपियों की आजीवन कारावास की सजा को राजस्थान हाईकोर्ट ने स्थगित कर दिया है। दोषियों के वकीलों द्वारा दायर किए प्रार्थना पत्र की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने माना कि फूलसिंह हत्याकांड की घटना पूर्व नियोजित नहीं थी। न्यायाधीश पंकज भंडारी और भुवन गोयल की खंडपीठ ने सजा के स्थगन का आदेश जारी करते हुए कहा कि आरोपियों पर हत्या के सीधे आरोप नहीं हैं। आक्रोशित भीड़ द्वारा किए गए उपद्रव में फूलसिंह हत्याकांड हो गया था। यह घटना सुनियोजित नहीं थी। ऐसे में सभी 30 दोषियों को एक एक लाख रुपए के व्यक्तिगत बॉण्ड और 50-50 हजार रुपए के मुचलकों पर रिहा करने के आदेश दिए हैं।
नवंबर 2022 में एससी-एससी कोर्ट ने सुनाई थी आजीवन कारावास की सजा
इस मामले में सवाई माधोपुर कोर्ट की एससी-एसटी कोर्ट ने नवंबर 2022 को तत्कालीन पुलिस उपअधीक्षक (डिप्टी एसपी) महेन्द्र सिंह तंवर, बनवारी लाल मीणा, रामचरण मीणा, योगेन्द्र नाथ, हनुमान मीणा और पृथ्वीराज मीणा सहित 30 आरोपियों को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। एससी-एसटी कोर्ट ने माना था कि भीड़ द्वारा जब फूल मोहम्मद को जिन्दा जलाया जा रहा था तब डिप्टी एसपी महेन्द्र सिंह मौके पर खड़े थे। महेन्द्र सिंह पर आरोप यह भी था कि उन्होंने फूल मोहम्मद को बचाने का कोई प्रयास नहीं किया था। मामले की जांच सीबीआई ने की थी। सीबीआई जांच में कुल 89 लोगों को आरोपी बनाया गया था। सबूतों के अभाव में एससी-एसटी कोर्ट ने 49 आरोपियों को बरी करते हुए शेष 30 आरोपियों को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
भीड़ ने किया था पथराव और आगजनी
दरअसल 17 मार्च 2011 को सवाई माधोपुर के मानटाउन थाना क्षेत्र के सूरवाल गांव में दाखा देवी हत्याकांड के आरोपियों को गिरफ्तार करने और मुआवजे की मांग पर लोगों द्वारा आन्दोलन किया जा रहा था। इस दौरान राजेश मीणा और बनवारी मीणा नामक दो युवक पेट्रोल की बोतल लेकर पानी की टंकी पर चढ गए और सुसाइड की धमकी दे रहे थे। बनवारी को लोगों ने समझाइस कर टंकी से नीचे उतार लिया लेकिन राजेश मीणा ने खुद पर पेट्रोल छिड़क कर आग लगा ली और पानी की टंकी से नीचे कूद गया। इसके बाद मौके पर मौजूद भीड़ उग्र हो गई और पुलिस पर हमला कर दिया। पथराव और आगजनी की घटना में इंस्पेक्टर फूल मोहम्मद की गाड़ी को भी आग लगा दी गई थी जिससे उनकी मौत हो गई थी।
विभागीय जांच में बरी हो चुके थे महेन्द्र सिंह
तत्कालीन पुलिस उप अधीक्षक महेन्द्र सिंह तंवर विभागीय जांच में बरी हो चुके थे। जांच में पाया गया कि आक्रोशित भीड़ में से किसके द्वारा फैंका गया पत्थर फूल मोहम्मद को लगा और आग किसने लगाई, यह साबित नहीं हो सका है। इसमें महेन्द्र सिंह तंवर की कोई भूमिका नहीं पाई गई। आक्रोशित भीड़ द्वारा पथराव करने और इंस्पेक्टर फूल मोहम्मद की गाड़ी को आग लगाने के दौरान महेन्द्र सिंह घटना स्थल से दूर थे। आगजनी की घटना के लिए केरोसीन की बोतल लाने वाला नाबालिग था। चूंकि यह हत्याकांड पूर्व नियोजित नहीं था। ऐसे में राजस्थान हाईकोर्ट ने महेन्द्र सिंह तंवर के प्रार्थना पत्र की सुनवाई करते हुए सजा को स्थगित कर दिया।
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