जयपुर बम ब्लास्ट केस में सुप्रीम कोर्ट ने मांगा ट्रायल कोर्ट का पूरा रिकॉर्ड, HC के फैसले पर पूर्ण रोक नहीं, IO को दी राहत - आरोपियों के पासपोर्ट जमा करे सरकार, जेल से छूटने पर रोज एटीएस ऑफिस में हाजरी देनी होगी आरोपियों को
जयपुर। 15 साल पहले जयपुर में हुए बम ब्लास्ट मामले राजस्थान सरकार को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई है। पीड़ित परिवारों और राज्य सरकार द्वारा राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर की गई एसएलपी को सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है और सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति अभय ओका और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की खंडपीठ ने इस मामले के सभी पहलुओं को सुना। करीब डेढ़ महीने पहले 29 मार्च 23 को राजस्थान हाईकोर्ट ने जयपुर बम ब्लास्ट के सभी आरोपियों को बरी कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश पर पूर्ण रोक तो नहीं लगाई लेकिन इस पर सख्त शर्तें जोड़ दी है। अब इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा। मामले की अगली सुनवाई 9 अगस्त को तय की गई है।
जांच अधिकारी पर कार्रवाई से रोक
राजस्थान हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए बम ब्लास्ट केस के जांच अधिकारी की बड़ी लापरवाही मानी थी। कोर्ट ने ब्लास्ट के आरोपियों को बरी करने का फैसला सुनाने के साथ ही राजस्थान पुलिस के महानिदेशक को निर्देश दिया था कि वे जांच अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करें। अब सुप्रीम कोर्ट ने जयपुर बम ब्लास्ट केस की जांच करने वाले अधिकारी के खिलाफ होने वाली जांच के आदेश पर रोक लगा दी है।
जेल से छूटे तो रोज एटीएस में देनी होगी हाजरी
सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले पर पूर्ण रोक नहीं लगाई है। हाईकोर्ट ने आरोपियों को बरी करने का फैसला सुनाया था लेकिन फिलहाल चारों आरोपी जेल में बंद हैं। इन आरोपियों के जेल से छोड़ने पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त शर्तें जोड़ दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर आरोपियों को रिहा किया जाता है तो उन्हें जयपुर के एटीएस (एंटी टेररिस्ट स्क्वायड) के ऑफिस में रोज सुबह 10 से दोपहर 12 बजे के बीच हाजरी देनी होगी।
राज्य सरकार को दिए ये निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार और पीड़ितों की याचिका की सुनवाई करने के दौरान राज्य सरकार को भी निर्देश जारी किए हैं कि सरकार यह सुनिश्चित करे कि आरोपी सेफ और सैफुर रहमान को नोटिस जारी किया जाए। साथ ही बम ब्लास्ट के सभी आरोपियों के पासपोर्ट को राज्य सरकार अपने पास जमा करें। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में ट्रायल कोर्ट के पूरे रिकॉर्ड को भी मांगा है। सरकार को निर्देशित किया है कि 8 सप्ताह के भीतर पूरा रिकॉर्ड उपलब्ध कराया जाए। अगली सुनवाई की तारीख 9 अगस्त 2023 तय की गई है। अगर इस दिन सुनवाई नहीं हो पाती है तो राज्य सरकार आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 390 के तहत बहस करने के लिए स्वतंत्र होगी।
तीन जजों की खंडपीठ करेगी सुनवाई
बुधवार 17 मई को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय ओका और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई की थी। चूंकि यह मामला मृत्युदंड से जुड़ा हुआ है। ऐसे में अब तीन जजों की खंडपीठ अगली सुनवाई करेगी। राजस्थान सरकार की ओर से भारत के अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी और वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष सिंघवी ने किया। पीड़िता राजेश्वरी देवी और अभिनव तिवारी की ओर से सीनियर एडवोकेट मनिंदर सिंह, शिवमंगल शर्मा, हेमंत नाहटा और आदित्य जैन ने पक्ष रखा। अभियुक्त सरवर आजमी का सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ लूथरा और सिद्धार्थ अग्रवाल ने आरोपी मो. सलमान की ओर से सीनियर एडवोकेट रेबेका जॉन ने अपना पक्ष रखा। आरोपी सैफ और सैफुर रहमान की पेशी होनी बाकी है।
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