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2 साल की उम्र में हुआ पोलियो, फिर 500 रुपए पेंशन पाकर 'पैरों' पर खड़ा हुआ शिवराज सांखला - शिवराज से मिलकर सीएम अशोक गहलोत भी हुए गदगद

2 साल की उम्र में हुआ पोलियो, फिर 500 रुपए पेंशन पाकर 'पैरों' पर खड़ा हुआ शिवराज सांखला



 

जयपुर। नाम शिवराज सिंह सांखला। उम्र 31 वर्ष। 2 साल की उम्र में पोलियो के शिकार होने के कारण कमर के नीचे के शरीर ने काम करना बंद कर दिया। 80 फीसदी विकलांग होने के बावजूद शिवराज सिंह ने हौसला नहीं खोया। दोनों पैर काम नहीं कर रहे थे आज मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कारण शिवराज अपने 'पैरों' पर खड़ा है। वह सचिवालय में एलडीसी के पद पर नौकरी कर रहा है। गुरुवार 25 अप्रैल को शिवराज मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मिला तो मुख्यमंत्री गदगद हो गए। उन्होंने शिवराज के साथ ली गई फोटो को अपने सोशल मीडिया पेज पर पोस्ट करते हुए लिखा कि अपनी खुशी जाहिर करने के लिए कोई उनसे मिलने आए, एक जन सेवक के लिए इससे बड़ा सुकून और क्या हो सकता है।

 

पेंशन से मिला शिवराज के परिवार को सहारा 

 

नागौर जिले के मेड़ता शहर निवासी शिवराज सिंह ने बचपन में कई मुश्किलों से मुकाबला किया। गरीब माता पिता ने मजदूरी करके शिवराज और उनके दोनों बड़े भाइयों को पाला। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने पूर्व कार्यकाल वर्ष 2009 में अलग अलग श्रेणियों की पेंशन योजना शुरू की थी। विकलांग होने के कारण शिवराज सिंह ने भी आवेदन किया तो शिवराज को 500 रुपए प्रतिमाह पेंशन मिलने लगी। शिवराज के पिता नेमीचंद सांखला का निधन हो गया तो शिवराज की मां निर्मला देवी ने भी विधवा पेंशन योजना के तहत आवेदन किया। निर्मला को भी हर महीने 500 रुपए मिलने लगे। एक हजार रुपए प्रतिमाह मिलने पर शिवराज के परिवार को गुजारे के लिए सहारा मिल गया।

 

पेंशन के पैसे बचाकर स्कूटर लाया शिवराज

 

हर महीने मिलने वाली पेंशन के 500 रुपए में से 400 रुपए बचाकर शिवराज ने स्कूटी खरीदी। स्कूटी के कारण उसका आवागमन आसान हो गया। पढाई के साथ शिवराज की खेल में रुचि थी। भले ही शिवराज के शरीर का आधा हिस्सा काम नहीं कर रहा था लेकिन उसकी बाजू में काफी ताकत थी। स्कूली दिनों में ही उसने वेट लिफ्टिंग (भारोत्तोलन) शुरू की। स्कूल और कॉलेज के वह वेट लिफ्टिंग कॉम्पिटिशन में मेडल जीतने लगा। वर्ष 2019 में जयपुर से सवाई मानसिंह स्टेडियम में खेले गए स्टेट लेवल कॉम्पिटिशन में शिवराज सांखला ने 100 किलोग्राम भार वर्ग में गोल्ड मेडल जीता था।

 

वेट लिफ्टिंग के बाद शूटिंग में भी गोल्ड जीता

 

स्कूल और कॉलेज के दिनों में शिवराज सिंह ने वेट लिफ्टिंग की थी। राजकीय महाविद्यालय मेड़ता शहर में बीए करने के बाद वर्ष 2016 में शिवराज ने अजमेर के पृथ्वीराज चौहान राजकीय कॉलेज में राजनीति विज्ञान में एमए किया। इस दौरान उसने शूटिंग में हाथ आजमाना शुरू किया। जब निशाना सटीक लगने लगा तो शिवराज ने शूटिंग में मेहनत शुरू की। मध्यप्रदेश में हुई तीसरी नेशनल पैरा शूटिंग चैम्पियनशिप 50 मीटर पिस्टल शूटिंग में शिवराज सांखला ने गोल्ड मेडल जीता।

 

सरकार ने खिलाड़ी कोटे में आउट ऑफ टर्न नौकरी दी

 

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पिछले साल मेडल जीतने वाले उत्कृष्ट खिलाड़ियों को आउट ऑफ टर्न नौकरी देने का ऐलान किया था। प्रदेश के करीब 400 से ज्यादा खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी दी जा चुकी है। शिवराज सिंह सांखला को भी सचिवालय में एलडीसी के पद पर नियुक्ति मिली। सरकारी नौकरी लगने के बाद शिवराज का जीवन बदल गया है। शिवराज के दोनों बड़े भाई मेड़ता में ही कलर पेंटिंग का काम करते हैं। शिवराज का कहना है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की पेंशन योजना से पहले उसके परिवार को सहारा मिला। मुख्यमंत्री की वजह से ही अब उसे सरकारी नौकरी मिली है। मुख्यमंत्री का आभार जताने के लिए शिवराज 25 अप्रैल को मुख्यमंत्री निवास पर जाकर सीएम अशोक गहलोत से मिला। इस दौरान गहलोत ने कहा कि उन्हें भी शिवराज से मिलकर बड़ा सुकून मिला।

 

सरकारी आवास मिले तो सब खुशियां मिल जाएंगी

 

शिवराज सांखला का कहना है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उन जैसे हजारों परिवारों का जीवन बदल दिया है। गहलोत सरकार की योजनाएं गरीब और वंचित वर्ग के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। अब शिवराज को एक सरकारी आवास की दरकार है। उसका कहना है कि सरकारी कर्मचारियों को सरकारी आवास मिलते हैं। 80 फीसदी विकलांग होने के कारण किराए के एक छोटे से कमरे में रहना थोड़ा परेशानी भरा होता है। अन्य कर्मचारियों की तरह अगर सरकारी आवास मिल जाए तो उसे जीवन की सारी खुशियां मिल जाएंगी। 

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