लावारिस अवस्था में मिला 7 वर्षीय बालक - बाल कल्याण समिति और प्रशासन की तत्परता से हुआ पारिवारिक पुनर्वास
- Post By शरद टाक
- April 12, 2025 17:19:05

लावारिस अवस्था में मिला 7 वर्षीय बालक, बाल कल्याण समिति और प्रशासन की तत्परता से हुआ पारिवारिक पुनर्वास
सिरोही। आबूरोड रेलवे स्टेशन पर लावारिस हालत में मिले एक सात वर्षीय बालक को बाल कल्याण समिति, रेलवे पुलिस और प्रशासन की संयुक्त कार्यवाही से सकुशल उसके परिवार से मिलवा दिया गया। इस पूरे घटनाक्रम ने न केवल प्रशासनिक सतर्कता का प्रमाण दिया, बल्कि मानवीय संवेदनाओं की एक मिसाल भी पेश की।
रेलवे पुलिस बल को स्टेशन परिसर में एक मासूम बालक अकेला घूमता मिला। प्रारंभिक पूछताछ में सामने आया कि वह किसी अन्य स्टेशन पर अपने परिजनों से बिछड़ गया था और संयोगवश आबूरोड स्टेशन तक पहुंच गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए रेलवे पुलिस ने तुरंत बालक को बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष सुश्री रतन बाफना के समक्ष प्रस्तुत किया।
सुश्री बाफना ने बालक से स्नेहपूर्वक संवाद स्थापित किया, जिसके दौरान उसने अपने माता-पिता के नाम व मोबाइल नंबर साझा किए। त्वरित कार्रवाई करते हुए बालक के पिता से संपर्क साधा गया और उन्हें जानकारी दी गई कि उनका बेटा सकुशल है। फोन पर हुई इस बातचीत में बालक व उसके परिजन भावविह्वल हो उठे – यह क्षण सभी उपस्थितजनों के लिए अत्यंत मार्मिक रहा।
रात्रि के समय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए समिति अध्यक्ष ने बालक को अस्थायी रूप से राजकीय किशोर गृह में शेल्टर प्रदान करने के निर्देश दिए। बालक के पिता आज बाल कल्याण समिति के समक्ष उपस्थित हुए। आवश्यक दस्तावेजों की जांच और पहचान सत्यापन के उपरांत समिति सदस्य प्रकाश माली द्वारा बालक को विधिवत रूप से पिता को सौंपा गया। पुत्र को देखते ही पिता की आंखों से आंसू छलक पड़े, वहीं बेटा भी अपने पिता से लिपटकर रो पड़ा। यह मिलन दृश्य वहां मौजूद सभी लोगों की आंखें नम कर गया।
इस सराहनीय कार्य में बाल कल्याण समिति के अलावा कई अधिकारी और सामाजिक कार्यकर्ता भी सक्रिय रूप से शामिल रहे, जिनमें राजकीय किशोर गृह के अधीक्षक रणछोड़ कुमार, संरक्षण अधिकारी कन्हैया लाल, सामाजिक कार्यकर्ता जितेन्द्र कुमार, चाइल्ड हेल्पलाइन कोऑर्डिनेटर मनोहर सिंह एवं केस वर्कर हिमांशु की भूमिका उल्लेखनीय रही।
ऐसी घटना में जब प्रशासन, समाजसेवी और संस्थाएं मिलकर कार्य करते हैं, तो कठिन कार्य भी सरल हो जाता है। एक मासूम का परिजनों से मिलना न केवल उसके परिवार के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए उम्मीद की किरण बनक
र सामने आई है।
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