करवा चौथ 2023 कब...? 31 अक्टूबर को या 1 नवंबर को...! जानिए करवाचौथ का शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा की विधि - ज्योतिष परिषद एवं शोध संस्थान जयपुर के अध्यक्ष ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ ने पाठकों से साझा की पूरी जानकारी
जयपुर। करवा चौथ की पूजा इस बार 1 नवंबर को 5 पांच बजकर 44 मिनट से शाम 7 बजकर 2 मिनट तक की जा सकती है। 1 नवम्बर को ही रात्रि 8 बजकर 26 मिनट पर चंद्रोदय होगा। ज्योतिष परिषद एवं शोध संस्थान के अध्यक्ष ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ ने बताया इस वर्ष कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 31 अक्टूबर मंगलवार को रात 9 बजकर 30 मिनट से शुरू होकर 1 नवंबर को रात 9 बजकर 19 मिनट तक है। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार करवा चौथ्र का व्रत 1 नवंबर बुधवार को रखा जाएगा। करवा चौथ की पूजा 1 नवंबर को 5 पांच बजकर 44 मिनट से शाम 7 बजकर 2 मिनट तक की जा सकती है।
कैसे मनाते हैं करवा चौथ का व्रत
इस दिन विवाहित स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र के लिए पूरा दिन निर्जला रहते हुए व्रत रखती हैं। व्रत शुरू होने से पहले सास के हाथों से सरगी ली जाती है, जिसके बाद से इस व्रत की शुरुआत मानी जाती है। इसके बाद रात के समय चंद्रदेव को अर्घ्य देने के बाद ही जल ग्रहण किया जाता है और व्रती महिलाएं पानी पीकर अपना व्रत खोलती हैं।
करवा चौथ के दिन पूजा विधि
ज्योतिष परिषद एवं शोध संस्थान के अध्यक्ष ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ ने बताया करवा चौथ के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। साथ ही व्रत का संकल्प लें। पूरे दिन निर्जला व्रत रखें। पूजा की सामग्री एकत्र कर लें। मिट्टी से गौरी और गणेश बनाएं। माता गौरी को सुहाग की चीजें चूड़ी, बिंदी, चुनरी, सिंदूर अर्पित करें। करवा में गेहूं और उसके ढक्कन में चीनी का बूरा रखें। रोली से करवा पर स्वास्तिक बनाएं। शाम में गौरी और गणेश की पूजा करें और कथा सुनें। रात्रि में चंद्रमा को देख पति से आशीर्वाद लें और व्रत का पारण करें।
करवा चौथ के दिन का महत्व और इतिहास
ज्योतिष परिषद एवं शोध संस्थान के अध्यक्ष ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ ने बताया कि ऐसी मान्यता है कि करवा चौथ का व्रत रखने के कारण माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाया था। यह व्रत महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और अखंड सुहाग के लिए रखती हैं।
कैसे तैयार करें करवा चौथ का भोग
पंडित पुरुषोत्तम गौड़ के अनुसार करवा चौथ में पारण के लिए कहीं हलवा पूरी और चूरमा तो कहीं आलू की सब्जी और पूरी बनाई जाती है। वहीं कहीं पर इस दिन दाल के फरे और कढ़ी भी बनती है। करवा चौथ पर हलवा, पूरी, खीर, सब्जी, मिठाई भी बनाई जा सकती है। इस व्रत पर जो भी खाना बनाएं उसमें लहसुन और प्याज का इस्तेमाल न करें। भोग लगाने के लिए आप घी और गुड़ ले सकती हैं। इसमें आप सबसे पहले भगवान गणेश जी को भोग की थाली तैयार बनाएं। इसमें हलवा-पूरी रखना न भूलें। हिंदू धर्म में सुहागिन महिलाओं के लिए करवा चौथ का व्रत बहुत महत्वपूर्ण होता है। ये व्रत हर वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है।
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