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ऊर्जावान नेता के साथ सेना में कैप्टन हैं सचिन पायलट - युद्ध की स्थिति में मोर्चा संभालने के लिए लेते हैं नियमित ट्रेनिंग

ऊर्जावान नेता के साथ सेना में कैप्टन हैं सचिन पायलट

 

जयपुर। देश की राजनीति के ऊर्जावान युवा नेता सचिन पायलट राजनीति में सक्रिय होने के साथ प्रादेशिक सेना (टेरिटोरियल आर्मी) के कैप्टन भी हैं। बहुत कम लोगों को यह पता होगा कि सचिन पायलट नियमित रूप से टेरिटोरियल आर्मी की ट्रेनिंग में हिस्सा लेते रहे हैं। यानी अगर कभी युद्ध की स्थितियां बनती है तब एक कैप्टन के नाते पायलट अपनी भूमिका निभा सकते हैं। यही ट्रेनिंग लेने के लिए पायलट समय समय पर नई दिल्ली स्थित टेरिटोरियल आर्मी के मुख्यालय में जाते हैं। टेरिटोरियल आर्मी भारतीय सेना को सपोर्ट सिस्टम उपलब्ध कराने वाली सबसे मजबूत युनिट मानी जाती है जो युद्ध के समय आर्मी को मजबूती प्रदान करती है। बुधवार 7 जून को सचिन पायलट टेरिटोरियल आर्मी 124 सिख रेजिमेंट के यूनिट हैडक्वाटर पहुंचे। यहां वे अपने साथी अधिकारियों से मिले।

ऊर्जावान नेता के साथ सेना में कैप्टन हैं सचिन पायलट

सचिन पायलट टेरिटोरियल आर्मी के इंफेंट्री यानी पैदल सेना का हिस्सा है जो युद्ध के दौरान भारतीय सेना को बैकअप सपोर्ट प्रदान करती है।

ऊर्जावान नेता के साथ सेना में कैप्टन हैं सचिन पायलट

युद्ध के दौरान जब सैनिक बॉर्डर पर लड़ते हैं तो उनके लिए बैकअप सपोर्ट बहुत महत्वपूर्ण होता है। बैकअप सपोर्ट जितना ज्यादा मजबूत होगा। हमारी सेना उतनी ही मजबूती के साथ दुश्मनों का डटकर मुकाबला करने में कामयाब होगी।

ऊर्जावान नेता के साथ सेना में कैप्टन हैं सचिन पायलट

वर्ष 1962 और 1965 के युद्ध के दौरान टेरिटोरियल आर्मी के जवानों और अधिकारियों ने सेना का बड़ी मजबूती से साथ दिया था। कारगिल युद्ध के दौरान भी टेरिटोरियल आर्मी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

ऊर्जावान नेता के साथ सेना में कैप्टन हैं सचिन पायलट

सचिन पायलट के लिए यह बड़े फक्र की बात है कि वे सक्रिय राजनीति में रहते हुए सेना के कैप्टन भी है। जरूरत पड़ने पर वे युद्ध के समय बैकअप के रूप में फिल्ड या कंट्रोल रूम में अपनी सेवाएं देने के लिए तैयार है।

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