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राजस्थानी फोक सिंगर मांगे खान का निधन, बाड़मेर बॉयज ने लोकगीतों की दिलाई नई ख्याति - दुनिया के 20 देशों में 200 प्रस्तुतियां दे चुके, दिलों में हमेशा जिंदा रहेंगे

राजस्थानी फोक सिंगर मांगे खान का निधन, बाड़मेर बॉयज ने लोकगीतों की दिलाई नई ख्याति

 

बाड़मेर। राजस्थानी लोक संगीत को दुनियाभर में पहचान दिलाने में रेगिस्तानी जिलों का बड़ा योगदान है। सरहदी जिलों बाड़मेर और जैसलमेर के कलाकारों ने राजस्थानी कल्चर को एक नई पहचान दी है। लोकसंगीत के चर्चित सितारों में से एक चमकता सितारा मंगलवार 10 सितंबर को शांत हो गया। बाड़मेर निवासी मांगे खान का निधन हो गया। 49 वर्षीय मांगे खान सुरीले कंठों के बादशाह थे। उनकी आवाज का झलवा सात समंदर पार तक है। वे दुनिया के 20 से ज्यादा देशों में राजस्थान लोक गीतों की प्रस्तुतियां दे चुके हैं।

 

बाड़मेर बॉयज नाम से हुए विख्यात

 

मांगे खान बाड़मेर बॉयज बैंड के हेड वोकलिस्ट थे। उनकी पूरी टीम उन्हें मंगा नाम से पुकारती थी। बाड़मेर के इस बैंड ने राजस्थान लोकगीतों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाया। लोक संगीत में लेटेस्ट टेक्नोलॉजी का समावेश करके राजस्थानी फोक सॉन्ग को नई पहचान दिलाई। बाड़मेर बॉयज बैंड ना केवल भारत में बल्कि दुनिया के कई देशों विख्यात है। इस बैंड के लीड वोकलिस्ट मांगे सिंह के जाने से संगीत की दुनिया का एक चमकता सितारा हमेशा के लिए अस्त हो गया।

 

बोले तो मिठो लागे, हंसे तो प्यारो लागे

 

मेहमानों का आदर सत्कार अन्य राज्यों की तुलना में राजस्थान में ज्यादा लुभावना होता है। कुछ स्वागत गीत ऐसे हैं जिन्होंने दुनियाभर में पसंद किया गया। बोले तो मिठो लागे, हंसे तो प्यारो लागे... लोकगीत पूरी दुनिया में मशहूर हो गया है। इस लोकगीत को सरहदी जिलों के कलाकारों ने ही देश विदेश तक पहुंचाया। इसमें मांगे खान का भी बड़ा योगदान है। मांगे खाने के साथी कलाकार बताते हैं कि मांगे के नेतृत्व में वे करीब 20 देशों में 200 से ज्यादा प्रस्तुतियां दे चुके हैं।

 

पिछले दिनों हुई थी बाईपास सर्जरी

 

बाड़मेर के रामसर निवासी मांगे खान पिछले कुछ समय से दिल की बीमारी से जूझ रहे थे। पिछले दिनों उनके बाईपास सर्जरी भी हुई थी। सर्जरी कराने के बाद वे आराम कर रहे थे। हालांकि वे देश विदेश में प्रस्तुतियां देने नहीं जाते लेकिन उनके फैंस जब उनके पास पहुंचकर फरमाइस करते तो वे गाए बिना नहीं रहते। देश विदेश से भारत भ्रमण आने वाले उनके फेंस बाड़मेर तक पहुंच जाते थे। तब वे किसी को निराश होकर नहीं जाने देते। अब वे दुनियाभर के करोड़ों दिलों में एक याद बनकर रह गए हैं।

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