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हनुमान बेनीवाल ने संसद में फिर उठाई मांग, कहा - अग्निवीर योजना वापस ले सरकार, ये ना देश हित में है ना सेना हित में - केंद्र सरकार के दावे को बताया झूठा, कहा - पूर्व सैनियों को 1 प्रतिशत से भी कम मिली नौकरियां

हनुमान बेनीवाल ने संसद में फिर उठाई मांग, कहा - अग्निवीर योजना वापस ले सरकार, ये ना देश हित में है ना सेना हित में

 

जयपुर। नागौर से लोकसभा सांसद हनुमान बेनीवाल ने एक बार फिर अग्निवीर योजना का जोरदार विरोध किया है। बेनीवाल ने सोमवार 1 जुलाई को अग्निवीर योजना के विरुद्ध लोकसभा में मोर्चा खोला। नियम 377 के तहत बेनीवाल ने अग्निवीर योजना पर अपनी बात रखी। उन्होंने केंद्र सरकार से इस योजना को वापस लेने की मांग रखी। बेनीवाल ने कहा कि सेना में संविदा भर्ती का निर्णय किसी भी दृष्टि से सही नहीं है। यह निर्णय से ना तो सेना में जाने के इच्छुक युवाओं के हित में और ना ही सेना के लिए सही है। केंद्र सरकार के इस फैसले के विरुद्ध देश के युवा आंदोलित हैं। सरकार को इसे तुरंत वापस लेना चाहिए।

 

युवाओं के हितों को ध्यान में रखे सरकार

 

बेनीवाल ने कहा कि केंद्र सरकार को देश के युवाओं के हितों का ध्यान रखना चाहिए। अग्निपथ के माध्यम से होने वाली सेना भर्ती में सेवा के चार वर्षों के बाद युवाओं का के भविष्य पर सवालिया निशान है। अग्निवीर योजना के तहत भर्ती होने वाले सैनिकों को ना तो कोई रैंक मिलेगी और ना ही प्रमोशन। पेंशन भी नहीं मिलेगी। चार साल के बाद किसी को रियाटर करके सरकार घर भेजेगी तो उस नौजवान के आगे का भविष्य कैसे सुरक्षित होगा। यह सबसे बड़ी चिंता का विषय है।

 

1 प्रतिशत से भी कम नौकरी मिल पाई पूर्व सैनिकों को

 

हनुमान बेनीवाल ने कहा कि केंद्र सरकार यह कहती है कि अग्निवीर को रिटायरमेंट के बाद सार्वजनिक उपक्रमों में नौकरी दी जाएगी। उन्होंने कुछ आंकड़े पेश करते हुए कहा कि सरकार का यह दावा सच नहीं है। ग्रुप सी और ग्रुप डी में क्रमश 10 और 20 प्रतिशत पद आरक्षित होने के बावजूद उन्हें सिर्फ 1.29 प्रतिशत और 1.66 प्रतिशत नौकरी दी जा सकी है। बेनीवाल ने कहा कि केंद्रीय सुरक्षा बलों में भी पूर्व सैनिकों को 10 फीसदी नौकरी देने की बात कही गई लेकिन हकीकत में उन्हें 1 प्रतिशत से भी कम नौकरी मिल पाई है। ये तथ्य पेश करने के बाद बेनीवाल ने मांग रखी कि सरकार को पुराने तर्ज पर सेना भर्ती रैलियों को बहाल करते हुए नियमित सेना भर्ती प्रारंभ करनी चाहिए।

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