गहलोत v/s पायलट - अविनाश पांडे, अजय माकन और मल्लिकार्जुन खरगे हुए फेल, अब सुखजिन्दर सिंह रंधावा की अग्निपरीक्षा जारी
जयपुर। राजस्थान प्रदेश कांग्रेस में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच चल सियासी जंग को शांत कराने के कई प्रयास हुए। दोनों नेताओं में तालमेल बैठाने के लिए कांग्रेस आलाकमान ने पार्टी के बड़े नेताओं को जिम्मेदारियां दी लेकिन अब तक सभी नेता फेल साबित हुए हैं। गहलोत और पायलट की अदावत कांग्रेस के सत्ता में आने के समय से ही चल रही है। सत्ता और संगठन में तालमेल बैठाने के लिए पहले अविनाश पांडे को प्रभारी बनाकर भेजा। बाद में अजय माकन को। दोनों नेता गहलोत और पायलट के बीच तालमेल बैठाने में फेल साबित हुए। गत वर्ष मल्लिकार्जुन खरगे को भी भेजा लेकिन वे भी कामयाब साबित नहीं हुए। दिसंबर 2022 में पंजाब के पूर्व डिप्टी सीएम सुखजिन्दर सिंह रंधावा को जिम्मेदारी दी। अब तक रंधावा भी कामयाब साबित नहीं हुए। फिलहाल रंधावा राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी हैं और गहलोत और पायलट के बीच सुलह कराने में उनकी अग्नि परीक्षा जारी है।
पहले अविनाश पांडे ने किए थे प्रयास
वर्ष 2019 में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अविनाश पांडे को राजस्थान का प्रदेश प्रभारी बनाकर भेजा था। कहा जाता है कि पांडे ने काफी प्रयास किए लेकिन वे गहलोत और पायलट के बीच तालमेल नहीं बैठा पाए। दोनों में अंदरूनी खींचतान चलती रही और जुलाई 2020 में सचिन पायलट ने बगावती तेवर अपना लिए थे। पायलट के साथ कांग्रेस के 18 विधायक राजस्थान छोड़कर मानेसर चले गए। उनकी एक ही मांग थी कि राजस्थान में सरकार का नेतृत्व परिवर्तन हो यानी अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटाया जाए। हालांकि सचिन पायलट अपने इस दांव में कामयाब नहीं हुए और करीब एक महीने बाद कांग्रेस आलाकमान ने जैसे तैसे सचिन पायलट को मना लिया लेकिन अविनाश पांडे को प्रभारी पद से हटना पड़ा।
बाद में अजय माकन को सौंपी गई जिम्मेदारी
जुलाई 2020 में कांग्रेस में बवाल के बाद अजय माकन को राजस्थान का नया प्रभारी बनाकर भेजा गया। ऐसा माना जा रहा था कि अजय माकन गहलोत और पायलट को एक पटरी पर ले आएंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। गहलोत और पायलट के बीच सियासी खींचतान बढ़ती गई। उनके समर्थकों भी एक दूसरे के खिलाफ खुलकर बयानबाजी करते रहे। सितंबर 2022 में कांग्रेस आलाकमान प्रदेश के भावी मुख्यमंत्री का फैसला करने का अधिकार अपने पास लेना चाहते थे लेकिन उन दिनों गहलोत समर्थकों ने बगावत कर दी। सोनिया गांधी के आदेश पर बुलाई गई कांग्रेस विधायक दल की बैठक का बहिष्कार कर दिया गया और 80 से ज्यादा कांग्रेसी विधायकों ने आधी रात को विधानसभा अध्यक्ष के घर जाकर इस्तीफे सौंप दिए। इस बवाल के बाद अजय माकन को भी प्रदेश प्रभारी का पद छोड़ना पड़ा।
मल्लिकार्जुन खड़गे की मौजूदगी में मचा बवाल
25 दिसंबर को तत्कालीन प्रदेश प्रभारी के साथ मल्लिकार्जुन खरगे भी ऑब्जर्वर बनकर जयपुर आए थे। उस दौरान तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का प्रस्ताव लेकर अजय माकन और मल्लिकार्जुन खरगे दोनों जयपुर पहुंचे लेकिन गहलोत समर्थन कांग्रेसी नेताओं ने कांग्रेस विधायक दल की बैठक का बहिष्कार कर दिया। मुख्यमंत्री निवास पर सीएम अशोक गहलोत, प्रदेश प्रभारी अजय माकन, मल्लिकार्जुन खरगे और कुछ विधायक इंतजार करते रहे लेकिन गहलोत समर्थक विधायकों ने शांति धारीवाल के आवास पर समानांतर बैठक बुला ली। गहलोत समर्थक 80 से ज्यादा विधायक बैठक में नहीं पहुंचे। जोरदार बयानबाजी हुई। सचिन पायलट के लिए गद्दार जैसे शब्दों का इस्तेमाल हुआ। बाद में अजय माकन और मल्लिकार्जुन खरगे को वापस दिल्ली लौटना पड़ा। माकन और खरगे सोनिया गांधी का प्रस्ताव लेकर आए लेकिन गहलोत समर्थक विधायकों ने पास नहीं होने दिया। गहलोत समर्थक विधायकों ने अजय माकन पर सीधे आरोप लगाए थे कि माकन सचिन पायलट के एजेंट के रूप में काम कर रहे हैं। कुछ ही दिनों बाद अजय माकन को भी इस्तीफा देना पड़ा।
सुखजिन्दर सिंह रंधावा के प्रयास भी रंग नहीं लाए
दिसंबर 2022 में पंजाब के पूर्व डिप्टी सीएम सुखजिन्दर सिंह रंधावा को प्रदेश प्रभारी बनाकर भेजा। दावा किया गया कि रंधावा गहलोत और पायलट के बीच की दूरियों को मिटा पाएंगे लेकिन ऐसा नहीं हो सका। पिछले 6 महीने में रंधावा के हर प्रयास फेल हुए। रंधावा के आने के बाद गहलोत और पायलट ने एक दूसरे के खिलाफ खूब बयान दिए। इनके समर्थकों ने भी एक दूसरे के खिलाफ बयानबाजी की। रंधावा से बिना पूछे सचिन पायलट ने अपनी ही पार्टी के खिलाफ अनशन किया और बाद में जन संघर्ष यात्रा भी निकाली। रंधावा ने पायलट के इन फैसलों का विरोध भी किया लेकिन वे कुछ नहीं कर पाए। हालांकि रंधावा फिलहाल प्रदेश प्रभारी हैं लेकिन गहलोत और पायलट के बीच तालमेल बैठाने के लिए उनकी अग्नि परीक्षा फिलहाल जारी है।
सब फेल हुए तो तीन सहप्रभारी लगाए
अविनाश पांडे, अजय माकन और सुखजिन्दर सिंह रंधावा जब गहलोत पायलट के बीच तालमेल नहीं बैठा तो हाल ही में कांग्रेस हाईकमान ने तीन सह प्रभारी नियुक्त किए। दिल्ली महिला कांग्रेस की अध्यक्ष अमृता धवन, गुजरात कांग्रेस के प्रभारी वीरेन्द्र सिंह और काजी निजामुद्दीन को सह प्रभारी बनाकर भेजा। ये तीनों नेता राजस्थान के अलग अलग जिलों का दौरा कर रहे हैं। पार्टी के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के साथ मुलाकात कर रहे हैं। अलग अलग जिलों में बैठक आयोजित कर फीडबैक तैयार कर रहे हैं। हालांकि गहलोत और पायलट के बीच चल रही सियासी अदावत को वे कम नहीं कर पा रहे हैं लेकिन प्रदेश संगठन और सरकार को लेकर के प्रति नेताओं, पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के मन में क्या है। इसकी रिपोर्ट तैयार करके कांग्रेस आलाकमान को भेजे जाने का काम कर रहे हैं।
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