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पेपर लीक करने वाले RPSC सदस्य बाबूलाल कटारा को अभी तक क्यों नहीं हटाया...? - जानिए, अब क्या कदम उठाने जा रही है राज्य सरकार

पेपर लीक करने वाले RPSC सदस्य बाबूलाल कटारा को अभी तक क्यों नहीं हटाया...?



जयपुर। द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा के पेपर लीक मामले में राजस्थान लोक सेवा आयोग के सदस्य बाबूलाल कटारा की मुश्किलें बढती जा रही है। राज्य सरकार ने बाबूलाल कटारा के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए राष्ट्रपति द्रोपदी मूर्मु को फाइल भेजी है। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद कटारा को आरपीएससी सदस्य के पद से हटाया जाएगा। चूंकि आरपीएससी एक संवैधानिक संस्था है जिसकी स्थापना केन्द्र सरकार के नियमों के अनुसार की गई थी। आरपीएससी सदस्यों की नियुक्ति राज्य सरकार की सिफारिश पर राज्यपाल द्वारा की जाती है लेकिन उन्हें हटाने से पहले राष्ट्रपति से मंजूरी लेनी पड़ती है। इसीलिए राज्य सरकार ने राष्ट्रपति के पास फाइल भेजी गई है।

 

वरना जमानत मिलते ही फिर से काबिज हो जाता कटारा

 

पेपर लीक मामले में फिलहाल बाबूलाल कटारा एसओजी की गिरफ्त में है। अगर उसे कोर्ट से जमानत मिल जाती है तो जमानत के तुरंत बाद वे फिर से आरपीएससी के सदस्य पद पर काबिज हो जाते। ऐसे में उन्हें हटाने के लिए राष्ट्रपति के पास फाइल भेजी गई है। अब जल्द ही राष्ट्रपति की अनुमति मिलते ही राज्य सरकार बाबूलाल कटारा को आरपीएससी सदस्य के पद से हटा देगी। पूर्व में जब रीट का पेपर लीक हुआ था तब राज्य सरकार ने माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष प्रोफेसर बीपी जारोली को तुरंत प्रभाव से बर्खास्त कर दिया था। चूंकि बोर्ड के सदस्यों की नियुक्ति और उन्हें हटाने का अधिकार राज्य सरकार के पास होता है जबकि आरपीएससी के सदस्यों को हटाने का अधिकार राज्य सरकार के पास नहीं होता है।

 

सरकार की हुई थी किरकीरी

 

पेपर लीक मामले में राज्य सरकार की भारी किरकिरी हुई थी। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 1 लाख युवाओं को सरकारी नौकरी देना चाहते थे लेकिन बाबूलाल कटारा ने पेपर लीक करके मुख्यमंत्री अशोक गहलो के सपनों पर पानी फेर दिया था। गहलोत ने इस मामले को काफी गंभीरता से लिया। एसओजी की जांच में जब यह पता चला कि द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती का पेपर आरसीएससी से लीक हुआ है तो बीजेपी ने राज्य सरकार के खिलाफ इसे बड़ा मुद्दा बनाया था। बेरोजगार महासंघ के अध्यक्ष उपेन यादव सहित कई संगठनों ने आरपीएससी के अध्यक्ष सहित तमाम सदस्यों को बर्खास्त करने की मांग की थी।

 

अक्टूबर 2026 तक है कटारा का कार्यकाल

 

राज्य सरकार ने अक्टूबर 2020 में बाबूलाल कटारा को आरपीएससी सदस्य नियुक्त करने सिफारिश राज्यपाल से की थी और उसी दौरान राज्यपाल ने कटारा की नियुक्ति को मंजूरी दे दी थी। आयोग के सदस्य का कार्यकाल 6 साल का होता है। ऐसे में अगर कटारा को उनके पद से नहीं हटाया जाता है तो वे अक्टूबर 2026 तक वे इस पद पर बने रहेंगे। भर्तियों में पारदर्शिता रखने के लिए राज्य सरकार ने बाबूलाल कटारा को हटाने का फैसला लिया है। इसी कारण इस मामले की फाइल राष्ट्रपति के पास भेजी गई है।

 

ऐसे खुला पेपर लीक का मामला

 

24 दिसंबर को उदयपुर पुलिस ने अभ्यर्थियों से भरी एक बस को पकड़ा था जिसमें दलालों द्वारा अभ्यर्थियों को पेपर हल करवाया जा रहा था। 43 अभ्यर्थियों के साथ दलाल सुरेश बिश्नोई को गिरफ्तार किया। सुरेश से पूछताछ में पता चला कि द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा का पेपर सुरेश ढाका और भूपेन्द्र सारण द्वारा उपलब्ध कराया गया है। सुरेश ढाका फिलहाल फरार है लेकिन पिछले दिनों पुलिस ने भूपेन्द्र सारण को गिरफ्तार किया। सारण से पूछताछ में पता चला कि लीक पेपर सरकारी स्कूल के वाइस प्रिंसिपल शेरसिंह मीणा ने दिया था। जब शेरसिंह मीणा को गिरफ्तार करके पूछताछ हुई तो उसने बताया कि यह पेपर उसने आरपीएससी सदस्य बाबूलाल कटारा से खरीदा था। पिछले दिनों एसओजी ने बाबूलाल कटारा, उसके भांजे विजय डामोर और ड्राइवर गोपाल सिंह को गिरफ्तार किया था। 

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