गहलोत पायलट विवाद पर निर्णायक फैसला... - सुलह के 4 फार्मूलों के बारे में यहां पढ़ें
जयपुर। राजस्थान प्रदेश कांग्रेस में अशोक गहलोत और सचिन पायलट खेमे के बीच चल रहा सियासी युद्ध अब निर्णायक स्थिति में है। ऐसा माना जा रहा है कि कांग्रेस हाईकमान के स्तर पर अब कोई ना कोई हल निकालने के अंतिम प्रयास किए जा रहे हैं। हालांकि ऐसा नहीं है कि पूर्व में कोई प्रयास नहीं हुए हों लेकिन पायलट की चेतावनी के बाद उन्हें हल्के में लेना कांग्रेस के लिए नुकसानदेह साबित होगा। चूंकि कुछ ही महीनों बाद राजस्थान सहित तीन राज्यों में विधानसभा चुनाव है। ऐसे में कांग्रेस आलाकमान गहलोत और पायलट दोनों के बीच सुलह का कोई रास्ता निकालते हुए पार्टी को आगे बढ़ाना चाहते है। सुलह पर मंथन के लिए दिल्ली में महत्त्वपूर्ण बैठक होने जा रही है।
अब सुलह के संभावित फार्मूलों के बारे में जानिए
फार्मूला नम्बर 1 :- पायलट को पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी
हालांकि सचिन पायलट के समर्थक उन्हें मुख्यमंत्री बनाए जाने की जिद कर रहे हैं कि कांग्रेस आलाकमान इससे इत्तर पायलट को नई जिम्मेदारी देकर उन्हें मनाने की कोशिश कर सकती है। ऐसा संभव है कि पायलट को राजस्थान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की कमान सौंपकर आगामी विधानसभा चुनावों में बड़ी जिम्मेदारी दी जाए। पायलट इसे स्वीकार भी कर सकते हैं क्योंकि अपने पसंदीदा प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में उतारने और ज्यादा से ज्यादा संख्या में विधानसभा पहुंचने पर पायलट एक ताकत के रूप में उभरेंगे। यह ताकत आने वाले सालों में सचिन पायलट का भविष्य तय करेंगी।
फार्मूला नम्बर 2 :- छह महीने गहलोत, छह महीने पायलट
यह तो तय है कि अगर सचिन पायलट बगावत करके कांग्रेस से अलग कदम बढ़ाएंगे तो सत्ता तक पहुंचना उनके लिए आसान नहीं होगा। ऐसे कोई भी प्रयास राजस्थान में अब तक सफल नहीं हो पाए हैं। ऐसे में कांग्रेस आलाकमान सचिन पायलट को इस बात की गारंटी देकर मनाने की कोशिश करेंगे कि इसी साल होने वाले चुनाव एकजुट होकर लड़ें। अगले साल लोकसभा के चुनावों तक ज्यादा से ज्यादा संख्या में सांसद चुनकर भेजने की कोशिश करें। अगर सरकार रिपीट होती है तो लोकसभा चुनावों तक गहलोत को ही मुख्यमंत्री रहने और बाद के ढाई साल सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने के प्रस्ताव पर मोहर लगाई जा सकती है।
फार्मूला नम्बर 3 :- :बीती ताहि बिसार दे, आगे की सुधि लेइ'
कांग्रेस हाईकमान अब मशहूर कवि 'गिरधर' की पंक्तियों से सुलह का फार्मूला निकालने की कोशिश कर सकती है। कवि 'गिरधर' बहुत ही सरल और संक्षेप में सफलता का मार्ग सुझाया है। कवि ने लिखा है कि 'बीती ताहि बिसार दे, आगे की सुधि लेइ, जो बनि आवे सहज में, ताही में चित देइ। ताही में चित देइ, बात जोई बनि आवे, दुर्जन हंसे न कोई चित्त में खता न पावे।: अर्थात जो बीत गया, उसे भूल जाओ और आगे की तैयारी करो। जो कुछ आप सहजता से कर पा रहे हैं, उसी में ध्यान लगाओ। ऐसा करने से आपके मन में कोई चिन्ता या कमी नहीं होगी तो बूरे लोग आपका मजाक नहीं उड़ा पाएंगे।
फार्मूला नम्बर 4 :- गांधी परिवार का भरोसा
अशोक गहलोत और सचिन पायलट दोनों गांधी परिवार के भरोसेमंद और नजदीकी नेता है। दोनों ही नेताओं की गांधी परिवार के प्रति पूरी आस्था है। गहलोत और पायलट दोनों को पार्टी ने बहुत कुछ दिया है। गहलोत और पायलट को बहुत कम उम्र में सांसद बनने का मौका देने के साथ केन्द्रीय मंत्रीमंडल में भी शामिल किया। पार्टी के राष्ट्रीय नेताओं की गिनती में ये दोनों नेता शामिल है। अब पार्टी आलाकमान दोनों ही नेताओं से मुलाकात कर उनसे चर्चा करेगी तो गांधी परिवार का भरोसा याद दिलाएगी। माना यही जा रहा है कि इन दोनों में से शायद ही कोई नेता गांधी परिवार के भरोसे को तोड़ पाए। ऐसे में दोनों के अड़ियल रुख के बीच सुलह का कोई तीसरा रास्ता निकालने पर सहमति बनना संभव है।
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