डॉ. किरोड़ीलाल मीणा को बीजेपी की केन्द्रीय कार्यसमिति में शामिल करने पूरा फायदा मिलेगा पार्टी को, मीणा समाज में अलग वर्चस्व है डॉ. किरोड़ीलाल मीणा का - हर किसी की मदद के लिए धरना प्रदर्शन करके हजारों परिवारों को दिला चुके न्याय
जयपुर। पिछले कुछ महीनों से ऐसा माना जा रहा था कि राज्यसभा सांसद डॉ. किरोड़ी लाल मीणा को केन्द्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा। हालांकि इन दिनों केन्द्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल नहीं हुआ। ऐसे में किसी नेता के प्रमोशन और डिमोशन की खबरों पर फिलहाल ब्रेक लग गया। इसी बीच बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने 10 नेताओं को केन्द्रीय कार्यसमिति का सदस्य बनाया है जिनमें राजस्थान के डॉ. किरोड़ीलाल मीणा और सतीश पूनिया शामिल है। डॉ. मीणा को केन्द्रीय नेतृत्व में तवज्जो मिलने पर आगामी विधानसभा चुनावों में बीजेपी को सीधा फायदा मिलने की संभावना है। जब भी किसी समाज के प्रभावशाली नेता को बड़ी जिम्मेदारी मिलती है तो समाज का बड़ा तबका अपने नेता के साथ पार्टी से जुड़ता है। यही बीजेपी के साथ होने वाला है।
करीब 45 सीटों पर निर्णायक भूमिका में होते हैं मीणा
राजस्थान अलवर, सवाई माधोपुर, करौली, दौसा, झालावाड़, टोंक, उदयपुर, कोटा, बारां, राजसमंद, उदयपुर, भीलवाड़ा, प्रतापगढ़ और चित्तौड़गढ़ जिले मीणा बाहुल्य जिले हैं। इन 14 जिलों की करीब 45 विधानसभा सीटें ऐसी है जहां प्रत्याशियों की जीत मीणा समाज के मतदाता तय करते हैं। हालांकि यह भी सही है कि अधिकतर सीटों पर मीणा के सामने मीणा ही प्रत्याशी मैदान में होता है लेकिन कद्दावर नेता हमेशा भारी पड़ते हैं। यही डॉ. किरोड़ी लाल मीणा के साथ होने वाला है। पार्टी में उनका कद बढने से मीणा समाज का बीजेपी पर भरोसा बढ़ जाएगा।
समाज में अपनी अलग पहचान रखते हैं डॉ. मीणा
यूं तो मीणा समाज में कई नेता विधायक और सांसद हैं लेकिन डॉ. किरोड़ीलाल मीणा का अपना अलग वर्चस्व है। उनका काम करने का तरीका सबसे अलग है। उनका दरबार हमेशा हर किसी के लिए खुला है। साधारण से साधारण सदस्य डॉ. मीणा से आसानी से मिल पाते हैं। विधायक, सांसद और मंत्री रहने के बावजूद डॉ. किरोड़ीलाल मीणा जमीन से जुड़े हुए नेता हैं। उनमें कोई घमंड नहीं हैं। वे हर गरीब और वंचित की आवाज सुनते हैं और उनकी मदद के लिए चल पड़ते हैं। राज्यसभा सांसद डॉ. मीणा ही राजस्थान के ऐसे बीजेपी नेता हैं जिन्होंने हर मोर्चे पर कांग्रेस सरकार को कटघरे में खड़ा किया। डॉ. मीणा के आन्दोलनों से हजारों परिवारों को न्याय मिला है। यही डॉ. मीणा का वर्क स्टाइल है।
बीजेपी से अलग होकर भी बरकरार रहा डॉ. किरोड़ी का जलवा
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से नाराजगी के चलते वर्ष 2008 में डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने बीजेपी को बाय बाय कह दिया था। 2013 के विधानसभा चुनावों से पहले डॉ. मीणा ने पीए संगमा की पार्टी नेशनल पिपल्स पार्टी(राष्ट्रीय जन पार्टी) का हाथ थाम लिया और 134 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे। एनपीपी के टिकट पर डॉ. मीणा, उनकी पत्नी गोलमा देवी, नवीन पिलानिया और गीता देवी चुनाव जीतने में कामयाब रहे। 4 सीटें जीतने के साथ ही 11 सीटों पर एनपीपी के प्रत्याशी दूसरे स्थान पर रहे और कई सीटों के चुनावी समीकरण बिगाड़ दिए थे। डॉ. किरोड़ी लाल मीणा के नाम राजस्थान में एनपीपी को 13 लाख 12 हजार से ज्यादा वोट मिले थे। वर्ष 2018 में डॉ. मीणा को फिर से बीजेपी में शामिल कर लिया गया।
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