ज्योति मिर्धा के बाद सचिन पायलट भी छोड़ सकते हैं कांग्रेस...! जो आरोप ज्योति ने लगाए, वही आरोप सचिन पायलट लगा चुके - गद्दार, नकारा, निकम्मा, कोरोना... क्या क्या नहीं कहा गया पायलट को, आखिर कितना बर्दाश्त करेंगे
जयपुर। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले राजस्थान कांग्रेस को जोरदार झटका लगा है। राजस्थान के बड़े राजनैतिक घराने और कांग्रेस की वरिष्ठ नेता ज्योति मिर्धा बीजेपी में शामिल हो गई है। दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय में बीजेपी में शामिल होने के बाद ज्योति मिर्धा ने कहा कि कांग्रेस में कार्यकर्ताओं की अनदेखी हो रही है और कई कार्यकर्ता घुटन महसूस कर रहे हैं। पार्टी के मंच पर जो बात रखी जाती है उसे अनदेखा किया जाता है। ज्योति मिर्धा ने कांग्रेस नेतृत्व पर जो आरोप लगाए हैं। वही आरोप सचिन पायलट लगा चुके हैं। ऐसे में सियासी गलियारों में चर्चाएं हैं कि क्या सचिन पायलट भी पार्टी छोड़ेंगे।
सचिन पायलट भी लगा चुके हैं यही आरोप
प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट भी कांग्रेस के प्रदेश नेतृत्व पर कई आरोप लगा चुके हैं कि पार्टी में कार्यकर्ताओं की अनदेखी की जा रही है। वे सार्वजनिक मंच से कई बार कह चुके हैं कि जिन कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस के लिए खून पसीना बहाया, लाठियां खाई और पार्टी को सत्ता में लेकर आए। उन्हें पार्टी में जो सम्मान मिलना चाहिए, वो नहीं मिला है। कार्यकर्ताओं के मान सम्मान के लिए पायलट कई बाद सरकार के मुखिया अशोक गहलोत के खिलाफ बगावती तेवर अपना चुके हैं।
सचिन पायलट की एक भी मांग पूरी नहीं हुई
सचिन पायलट ने अशोक गहलोत के खिलाफ बगावती तेवर अपनाते हुए जयपुर में अनशन किया। अजमेर से लेकर जयपुर तक 125 किलोमीटर की पैदल यात्रा भी निकाली। बाद में जयपुर में आयोजित आमसभा में पायलट ने अशोक गहलोत पर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के शासन में हुए घोटालों की जांच नहीं करवाने का आरोप लगाते हुए प्रदेश व्यापी आंदोलन की चेतावनी भी दी। पायलट ने गहलोत के सामने तीन मांगें रखते हुए 15 दिन का अल्टीमेटम दिया। अल्टीमेटम पूरा हुए तीन महीने हो गए लेकिन पायलट की एक भी मांग पूरी नहीं हुई है। ऐसे में राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि चुनावी साल में सचिन पायलट कोई भी बड़ा कदम उठा सकते हैं।
गद्दार, नकारा, निकम्मा जैसे आरोपों के बावजूद चुप हैं पायलट
सार्वजनिक रूप से बार बार अशोक गहलोत के खिलाफ बयान देकर चेतावनी देने के बाद पार्टी आलाकमान सचिन पायलट को आश्वासन देकर मनाते रहे हैं। तीन साल बाद भी पायलट द्वारा कोई निर्णय नहीं लेने पर उनके समर्थित विधायक और कार्यकर्ता भी उनसे खफा होते जा रहे हैं। कई समर्थक कह चुके हैं कि सचिन पायलट को अपना स्टैंड क्लियर करना चाहिए लेकिन पायलट शांत हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि अगर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार रिपीट होती है तो भी अशोक गहलोत के रहते सचिन पायलट का मुख्यमंत्री बनना संभव नहीं है। अशोक गहलोत सहित उनके समर्थित नेता सचिन पायलट को गद्दार, नकारा, निकम्मा और कोरोना तक कह चुके हैं। इसके बावजूद भी सचिन पायलट आलाकमान के किस आश्वासन पर चुप बैठे हैं। यह समझ से परे है।
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