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आहोर पर गठबंधन का साया, क्या कांग्रेस बचा पाएगी दो बार हारी हुई अपनी सीट ? - विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने छोटे छोटे दलों से प्रदेश में गठबंधन का रखा है प्रस्ताव

आहोर पर गठबंधन का साया, क्या कांग्रेस बचा पाएगी दो बार हारी हुई अपनी सीट ?

 

दिलीप डूडी, जालोर.

इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर दोनों प्रमुख राजनीतिक दल जी तोड़ मेहनत में जुटे हुए है। जहां बीजेपी सत्ता में आना चाह रही है, वहीं कांग्रेस पुरानी परंपरा को तोड़कर रिपीट होना चाह रही है। हर बार सरकार बदलने के धब्बे को धोने की फिराक में कांग्रेस पुनः सत्ता प्राप्ति के लिए छोटे छोटे दलों से भी इस बार गठबंधन करना चाह रही है। हालांकि वर्ष 2018 में भी कांग्रेस ने राजस्थान में छोटे छोटे राजनीतिक दलों से गठबंधन कर 6 सीट दे दी थी, लेकिन इस बार यह आंकड़ा बढ़ा दिया गया है। सूत्रों के मुताबिक राजस्थान में सहयोगी दलों के लिए कांग्रेस इस बार 20 सीट छोड़ने को तैयार है। जिस सीट पर सहयोगी दल मजबूत है, उनके लिए वहां की सीट काँग्रेस गठबंधन करेगी। इस कारण इस बार समीकरण नए बन रहे है। इस गणित में इस बार जालोर जिले की सीट भी गठबंधन की दौड़ में शामिल हो गई है।

शिवसेना ने आहोर सीट पर दावा जताया

दरअसल, 2018 के पिछले चुनावों में भी काँग्रेस ने प्रदेश में एनसीपी, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय लोकदल जैसी पार्टियों से भरतपुर, बाली आदि 6 विधानसभा सीटों के लिए गठबंधन कर लिया था। इनमें कुछ सहयोगी दल जीत भी गए थे , इनमें भरतपुर से लोकदल के विधायक डॉ सुभाष गर्ग तो वर्तमान सरकार में राज्यमंत्री भी है। इसी तर्ज पर सूत्रों के मुताबिक राजस्थान में काँग्रेस इस बार 20 सीट उन सहयोगी दलों के लिए छोड़ना चाह रही है, जहां कांग्रेस की बजाय वो दल जीतने की अधिक संभावना रखता हो। इन सहयोगी दलों में इस बार शिवसेना का भी नाम शामिल बताया जा रहा है। महाराष्ट्र में कांग्रेस व शिवसेना का गठबंधन है, इसी कारण शिवसेना ने भी राजस्थान में दो सीट के लिए अपनी दावेदारी पेश की है। सम्भवतया इस पर काँग्रेस सहमति जता सकती है। शिवसेना ने दो सीट मांगी है, उनमें से एक सीट आहोर है। शिवसेना ने दावा किया है कि आहोर विधानसभा सीट पर पिछले चार चुनावों में से तीन चुनाव काँग्रेस हार चुकी है और पिछले दो चुनाव तो बड़े अंतर से हारी है। वहीं शिवसेना पिछले कुछ समय से यहां अपना रुतबा कायम कर रही है, इस लिहाज से कांग्रेस यह सीट शिवसेना को दे। अब काँग्रेस आहोर सीट शिवसेना को देने की सहमति देती है या नहीं यह तो टिकट वितरण के बाद ही पता चल पाएगा, लेकिन शिवसेना की इस दावेदारी ने सुगबुगाहट तो पैदा कर दी है।

शिवसेना की दावेदारी के पीछे बड़ा कारण

दरअसल, शिवसेना महाराष्ट्र में अपना सहयोग काँग्रेस को दे रही है। अब राजस्थान में भी पार्टी अपना विस्तार कर रही है। सालभर से जालोर जिले में पार्टी ने सक्रियता बढ़ा दी है। पार्टी के जिला प्रमुख रूपराज राजपुरोहित ने पार्टी की ओर से न्याय अभियान चला रखा है, जिसमें छोटी छोटी समस्याओं का समाधान हाथों हाथ करवाया जा रहा है। इस कारण बड़ी संख्या में नए कार्यकर्ता शिवसेना से जुड़े है। रूपराज पुरोहित स्वयं थांवला आहोर के रहने वाले है। पिछले दिनों भाद्राजून लाटा प्रकरण हो या जवाई बांध के पानी की मांग को लेकर प्रदर्शन, शिवसेना ने इसमें बखूबी भूमिका निभाई है। इससे शिवसेना पार्टी के प्रति लोगों में विश्वास जगा है। इसी का सहारा लेकर शिवसेना ने कांग्रेस के सामने अपने प्रस्ताव में आहोर सीट पर गठबंधन का दावा पेश किया है। 

कांग्रेस भी कर रही नए "भगराज" की तलाश 

दरअसल, आहोर विधानसभा सीट पर कांग्रेस पूर्व में राजपूत समाज से उम्मीदवार बनाती थी, उसके बाद भगराज चौधरी को मौका दिया तो लंबे समय तक भगराज चौधरी ने आहोर सीट काँग्रेस के पक्ष में रखी। 2003 में वसुंधरा लहर में हार गए थे, लेकिन 2008 में भगराज चौधरी पुनः आहोर सीट पर जीतने में कामयाब रहे। उनके राजनीतिक मैदान छोड़ने के बाद 2013 व 2018 में कांग्रेस बड़े अंतर से आहोर सीट हार गई। लगातार दो बार हार से हताश काँग्रेस भी नए "भगराज" की तलाश में जुटी हुई है, यहां काँग्रेस के कार्यकर्ता भी जी जान से मेहनत में जुटे हुए है। पूर्व के प्रत्याशी सवाराम पटेल, सरोज चौधरी, विक्रम पटेल, खीमाराम चौधरी, लादूराम चौधरी जैसे नेता अपने पक्ष में माहौल बनाने में लगे हुए है, वहीं सीट को बचाने के लिए कुछ समर्थक राजस्थान राज्य जन अभाव अभियोग निराकरण समिति के अध्यक्ष पुखराज पाराशर के लिए भी मैदान तैयार करने में जुटे हुए है। साथ में चर्चा तो यह भी है कि हाल ही में जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जालोर आए थे, तब हेलीपेड पर स्वागत के दौरान पूर्व मंत्री के बेटे जगदीश चौधरी के कंधे पर हाथ रखकर गहलोत ने कहा था कि मुझसे मिलना, इन शब्दों के भी कई मायने निकाले जा रहे है। फिलहाल गठबंधन में इस दावे के बाद अब इंतजार इस बात का है कि कांग्रेस अपने बलबूते इस सीट पर चुनाव लड़ेगी या फिर शिवसेना का सहयोग लेकर मुकाबले को दिलचस्प बनाएगी।

इनका कहना है...

राजस्थान की सत्तारूढ़ काँग्रेस पार्टी से महाराष्ट्र में हमारा गठबंधन है। राजस्थान में इस बार काँग्रेस सहयोगी दलों को 20 सीट देने पर विचार कर रही है। दो सीट शिवसेना को देने पर सहमति बन सकती है। हमने इसमें एक आहोर सीट पर भी दावा जताया है। इसकी रिपोर्ट प्रदेश प्रभारी को भेज दी है। अब अंतिम निर्णय दोनों दलों के आलाकमान को करना है, लेकिन हमारी मेहनत आहोर सीट के लिए जारी रहेगी।

- रूपराज पुरोहित, जिला प्रमुख शिवसेना (उद्धव ठाकरे), जालोर

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