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अब SOG ने केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत को संजीवनी घोटाले में माना आरोपी - मुख्यमंत्री अशोक गहलोत लगातार बता रहे हैं मुल्जिम

अब SOG ने केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत को संजीवनी घोटाले में माना आरोपी

 

जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत लम्बे समय से यह आरोप लगाते रहे हैं कि संजीवनी क्रेडिट सोसायटी घोटाले में केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत भी मुल्जिम हैं। एफआईआर में नामजद नहीं होने के कारण एसओजी अब तक शेखावत को आरोपी नहीं मान रही थी लेकिन हाल ही में एसओजी ने राजस्थान हाईकोर्ट में तथ्यात्मक रिपोर्ट पेश की जिसमें गजेन्द्र सिंह शेखावत और उनके परिवार के सदस्यों को आरोपी माना है। एसओजी की ओर से पहली बार गजेन्द्र सिंह शेखावत और उनके परिवार के सदस्यों पत्नी, माता, पिता और साले सहित 68 लोगों को आरोपी माना है। अब इस मामले में केन्द्रीय मंत्री की मुश्किलें बढ सकती है। हालांकि राजस्थान हाईकोर्ट ने फिलहाल गजेन्द्र सिंह शेखावत की गिरफ्तारी पर रोक लगाई हुई है।

 

जानिए एसओजी ने किस आधार पर शेखावत को बनाया आरोपी

 

कारण 1 - केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत वर्ष 2005 से लेकर 2014 तक नवप्रभा बिल्डटेक लिमिटेड के डायरेक्टर रहे हैं। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों से एक साल पहले वर्ष 2013 में इस नवप्रभा कंपनी के सभी शेयर संजीवनी क्रेडिट कॉ-ऑपरेटिव सोसायटी के संस्थापक विक्रम सिंह ने खरीद लिए थे। विक्रम सिंह ने संजीवनी से लोन लेकर 10 गुना ज्यादा कीमत देकर शेखावत से शेयर खरीदे। लोन के रुपए वापस नहीं चुकाए। ऐसे में एसओजी ने अब गजेन्द्र सिंह शेखावत को भी इस मामले में मिलीभगत के आधार पर आरोपी माना है।

 

कारण नम्बर 2 - गजेन्द्र सिंह शेखावत ल्युसिड फार्मा कंपनी में वर्ष 2011 से लेकर 2014 तक डायरेक्टर रहे। इस कंपनी के शेयर भी वर्ष 2016 में संजीवनी क्रेडिट सोसायटी के संस्थापक विक्रम सिंह और उनकी पत्नी विनोद कंवर ने खरीदे थे। इस कंपनी के 50.04 प्रतिशत शेयर आज भी गजेन्द्र सिंह और उनके परिवार के सदस्यों के पास है। शेष 49.96 प्रतिशत शेयर संजीवनी सोसायटी के संस्थापक और इस घोटाले के मुख्य आरोपी विक्रम सिंह और उनकी पत्नी के पास हैं। इसी कंपनी ने वर्ष 2012 में इथोपिया में जमीन लीज पर ली थी। ऐसे में एसओजी ने इस घोटाले में शेखावत और उनके परिवार के सदस्यों को आरोपी बनाया है।

 

कारण नम्बर 3 - गजेन्द्र सिंह शेखावत बने थे गारंटर

 

नवप्रभा बिल्डटेक कंपनी ने वर्ष 2015 में आरएफसी से 20 करोड़ रुपए का लोन लिया था। गजेन्द्र सिंह शेखावत इसमें गारंटर बने थे जबकि उस समय वे कंपनी के डायरेक्टर या शेयर होल्डर नहीं थे। गारंटर के तौर पर जोधपुर के उम्मेद हैरिटेज के 581 वर्ग गज के प्लॉट का हवाला दिया था जो गजेन्द्र सिंह शेखावत और विक्रम सिंह के नाम था। आरएफसी ने वर्ष 2017 में जारी संशोधित स्वीकृति में भी गजेन्द्र सिंह शेखावत का नाम था।

 

10 गुना कीमत पर खरीदे गए शेयर

 

घोटाले के मुख्य आरोपी विक्रम सिंह द्वारा नवप्रभा बिल्डटेक कंपनी के शेयर 10 गुना ज्यादा कीमत पर खरीदे गए थे। 50 रुपए की कीमत का शेयर 500 रुपए में खरीदा गया था। शेयर खरीदने के लिए लिया गया लोन विक्रम सिंह ने आज तक नहीं चुकाया। ऐसे में एसओजी ने अब विक्रम सिंह और अन्य आरोपियों की तरह गजेन्द्र सिंह शेखावत को भी आरोपी माना है। राजस्थान हाईकोर्ट ने एसओजी के हलफनामें को स्वीकार कर लिया है। फिलहाल शेखावत की गिरफ्तारी पर रोक है। मामले की अगली सुनवाई 30 मई को होगी।

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