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उपचुनाव से पहले अंतर्कलह में उलझी भाजपा....! युवा मोर्चा के अध्यक्ष ने बनाई नई कार्यकारिणी - सूची जारी होते ही विवाद बढें, प्रदेशाध्यक्ष ने 53 मिनद बाद कार्यकारिणी भंग की,

उपचुनाव से पहले अंतर्कलह में उलझी भाजपा....! युवा मोर्चा के अध्यक्ष ने बनाई नई कार्यकारिणी

 

जयपुर। क्या भाजपा में सब कुछ सही चल रहा है... शायद नहीं। उपचुनाव से पहले प्रदेश भाजपा अंतर्कलह में उलझी हुई नजर आ रही है। भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के बाद संगठन की नई कार्यकारिणी के गठन का इंतजार है। अभी तक करौली के जिला अध्यक्ष सहित कुछ अन्य पदाधिकारियों को नई जिम्मेदारी दी गई है। शेष टीम का ऐलान होना बाकी है। इसी बीच युवा मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष अंकित चेची रविवार शाम को नई कार्यकारिणी का गठन कर दिया। युवा मोर्चा की ओर से नई कार्यकारिणी की सूची मीडिया को जारी भी कर दी लेकिन 53 मिनट बाद पार्टी की ओर से इस नई कार्यकारिणी को भंग कर दिया। पार्टी के ऑफिशियल सोशल मीडिया अकाउंट पर स्पष्ट किया गया कि यह लिस्ट त्रुटिवश जारी हो गई थी। इसलिए इसे निरस्त किया जाता है।

 

विरोध को देखते हुए निरस्त हुई कार्यकारिणी की सूची

 

युवा मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष अंकित चेची की ओर से 8 प्रदेश उपाध्यक्ष, 4 प्रदेश महामंत्री, 9 प्रदेश मंत्री, प्रदेश कोषाध्यक्ष, सह कोषाध्यक्ष प्रदेश, कार्यालय मंत्री, मीडिया प्रभारी और सह प्रभारी के साथ 26 नेताओं को प्रदेश कार्यसमिति का सदस्य बनाया गया था। चेची की ओर से कार्यकारिणी का गठन किए जाने के बाद विवाद शुरू हुआ तो इसे निरस्त कर दिया गया। शाम 7 बजकर युवा मोर्चा की इस नई कार्यकारिणी की सूची मीडिया के लिए जारी की गई लेकिन 7 बजकर 56 मिनट पर इसे डिलीट कर दिया गया। डिलिट करने के साथ ही यह सूचना दी गई कि युवा मोर्चा की सूची त्रुटिपूर्वक जारी हो गई थी जिसे अपरिहार्य कारणों से रोक दी गई है। शीघ्र ही नई सूची जारी की जाएगी।

 

कद के अनुरूप नहीं मिली जिम्मेदारी

 

युवा मोर्चा के नई कार्यकारिणी के गठन के तुरंत बाद विरोध शुरू हो गया। जिन नेताओं को कार्यकारिणी में जगह नहीं मिली। उन्होंने खुलकर इस सूची का विरोध किया। उधर जो नेता इस सूची में शामिल थे। उनका आरोप था कि उन्हें कद के अनुरूप कार्यकारिणी में स्थान नहीं मिला। दोनों तरीकों से विरोध शुरू हुआ तो यह मामला पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष तक पहुंचा। फिर प्रदेशाध्यक्ष के दखल के बाद इस कार्यकारिणी कि निरस्त कर दिया गया।

 

विरोध का एक बड़ा कारण यह भी

 

राजस्थान की 7 विधानसभा सीटों पर आगामी दिनों में उपचुनाव होने वाले हैं। उपचुनाव वाली सीटों से संबंधित जिलों में से 4 जिलों में किसी की नियुक्ति नहीं की गई थी। इनमें दौसा, नागौर, डूंगरपुर और सलूंबर जिले शामिल हैं। उधर सीएम भजनलाल शर्मा के गृह जिले भरतपुर से भी केवल एक प्रदेश मंत्री बनाया गया। इस नई कार्यकारिणी में अधिकतर जिलों को प्रतिनिधित्व नहीं मिला। ऐसे में नई कार्यकारिणी के गठन के तुरंत बाद विरोध शुरू हो गया।

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