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हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में सत्ता गंवाने के बाद बीजेपी ने बदली चुनावी रणनीति - राष्ट्रीय मुद्दों के साथ अब स्थानीय मुद्दों पर भी रहेगा फोकस

हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में सत्ता गंवाने के बाद बीजेपी ने बदली चुनावी रणनीति

 

जयपुर। भारतीय जनता पार्टी पिछले 10 साल से देश के बड़े मुद्दों पर लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़ती आई है। इसका नतीजा यह रहा कि देश की जनता ने भाजपा का भरपूर साथ दिया। पिछले छह महीने में हुए राज्यों के चुनावों में बीजेपी के नेशनल मुद्दे विधानसभा चुनावों में कारगर साबित नहीं हुए। दिसंबर 2022 में भाजपा को हिमाचल प्रदेश की सत्ता गंवानी पड़ी। पंजाब में भी आम आदमी पार्टी की सरकार बनी। अब कर्नाटक में भी भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा है। इन तीन राज्यों के चुनाव परिणाम के बाद विधानसभा चुनावों में भाजपा ने अपनी चुनावी रणनीति बदल रही है। आगामी दिनों में होने वाले विधानसभा चुनावों में जीत के लिए बीजेपी नेशनल मुद्दों के साथ लोकल मुद्दों को भी चुनावी घोषणा पत्र में शामिल करने जा रही है ताकि जीत हासिल कर सके।

 

कांग्रेस की योजनाएं जनता को प्रभावित कर रही

 

भाजपा राष्ट्रीय मुद्दों लेकर हमेशा कांग्रेस को घेरने का प्रयास करती रही है। साथ ही परिवारवाद का मुद्दा भी अब तक कारगर रहा लेकिन अब जनता जन कल्याण की योजना के प्रति ज्यादा आकर्षित हो रही है। कांग्रेस अपनी योजना के जरिए जनता को ज्यादा से ज्यादा फायदा पहुंचाने की कोशिश कर रही है। राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने ओल्ड पेंशन स्कीम, चिरंजीवी स्वास्थ्य योजना के तहत 25 लाख रुपए तक का फ्री इलाज, घरेलू उपभोक्ता को 100 यूनिट मुफ्त बिजली, किसानों को 2000 यूनिट मुफ्त बिजली, मुफ्त फूड पैकेट, न्यूनतम पेंशन 1000 रुपए आदि कई सुविधाएं प्रदेश की जनता को मुहैया कराई है। इन्हीं जन कल्याणकारी योजनाओं के बूते कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश में जीत हासिल की। कर्नाटक में भी इन्हीं योजनाओं का काफी प्रभाव रहा। देश के कई राज्यों ने ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने की घोषणाएं कर दी। इन्हीं को देखते हुए अब भाजपा भी राष्ट्रीय मुद्दों के साथ लोकल मुद्दों को अपने एजेंडे में शामिल करने जा रही है।

 

घोषणा पत्र में लोकल मुद्दों को प्राथमिकता

 

हाल ही में नागौर जिले में भाजपा कार्यसमिति की बैठक हुई। इस बैठक में पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने प्रदेश के नेताओं को अलग अलग टास्क दिए हैं। हर जिलों में उन लोकल मुद्दों की तलाश की जा रही है जिनके आधार पर चुनाव जीता जा सके। सभी 33 जिलों से ऐसे मामलों को चिन्हित किया जा रहा है जिसके जरिए भाजपा लोगों को आकर्षित कर सके। नेशनल मुद्दों के साथ अब लोकल मुद्दों को भी पार्टी के चुनावी घोषणा पत्र में शामिल किए जाएंगे। सूत्रों के मुताबिक इस बार बीजेपी अलग अलग जिलों के लिए अलग अलग घोषणा पत्र भी जारी कर सकती है।

 

भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और बढते अपराध पर कांग्रेस को घेरने की तैयारी

 

आगामी विधानसभा चुनावों में भाजपा भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और प्रदेश में तेजी से बढ़ रहे अपराध को चुनावी मुद्दा बनाकर कांग्रेस को घेरने का प्रयास करेगी। हालांकि एंटी करप्शन ब्यूरो भ्रष्टाचार के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई कर रही है लेकिन बीजेपी इन्हीं मामलों को लेकर जनता के बीच जाने की तैयारी में है। लोगों को यह बताया जाएगा कि सरकार के हर विभाग में बहुत ज्यादा भ्रष्टाचार हो रहा है। कमीशन के बिना सरकारी फाइलें आगे नहीं बढ़ रही है। अफसर कर्मचारी लाखों रुपए की रिश्वत ले रहे हैं और इसका बड़ा हिस्सा सत्ता में बैठे नेताओं तक पहुंच रहा है। राजस्थान में पेपर लीक की घटनाओं ने लाखों बेरोजगारों और उनके परिवार वालों को चिंता में डाल दिया है। इन पेपर लीक की घटनाओं को बीजेपी बड़ा मुद्दा बना रही है। चूंकि आरपीएससी के सदस्य द्वारा पेपर बेचे जाने का मामला सामने आ चुका है। ऐसे में बीजेपी के लिए सरकार को घेरना आसान हो जाएगा। प्रदेश में तेजी से बढ़ रहे अपराधों को लेकर भी बीजेपी राजस्थान की कांग्रेस सरकार के खिलाफ हथियार के रूप में इस्तेमाल करेगी।

 

आतंकियों के बरी होने का मुद्दा छाया रहेगा चुनावों में

 

पिछले दिनों जयपुर बम ब्लास्ट के आरोपियों को राजस्थान हाई कोर्ट ने बरी कर दिया था। हाईकोर्ट के इस फैसले से प्रदेश सरकार की जमकर किरकिरी हुई। सरकार की ओर से डेढ़ महीने बाद सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की और हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने की मांग की लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने पूर्ण रोक लगाने से इनकार कर दिया। बम ब्लास्ट मामले में 80 से ज्यादा लोगों की जान गई थी। सैंकड़ों लोग घायल हुए थे। इस मामले में जयपुर की निचली अदालत ने दिसंबर 2019 में आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई थी लेकिन मार्च 2023 में हाईकोर्ट ने बम ब्लास्ट के आरोपियों को बरी करने का फैसला सुनाया। इसके बाद बीजेपी ने प्रदेश कांग्रेस सरकार पर कमजोर पैरवी करने का आरोप लगाते हुए तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया। यह मुद्दा आगामी विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को घेरने में मुख्य हथियार के रूप में काम में लिया जाएगा।

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