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इन तीन विधायकों को मंत्री बनाना चाहते थे अशोक गहलोत क्योंकि सरकार बचाने में इनकी भूमिका रही खास - जानिए इन तीन विधायकों ने कैसे बदला पूरा खेल

इन तीन विधायकों को मंत्री बनाना चाहते थे अशोक गहलोत क्योंकि सरकार बचाने में इनकी भूमिका रही खास



जयपुर। किसी भी राज्य में विधानसभा सदस्यों की संख्या के अधिकतम 15 प्रतिशत सदस्यों को मंत्री बनाया जा सकता है। राजस्थान में 200 विधानसभा सदस्य हैं। ऐसे में अधिकतम 30 सदस्यों को मंत्री बनाया जा सकता है। नवम्बर 2021 में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंत्री मंडल का विस्तार किया जिससे मंत्रियों का कोरम पूरा हो गया। मंत्रियों की संख्या पूरे 30 हो गई। सीएम गहलोत को मलाल है कि वे अपने तीन खास विधायकों को मंत्री नहीं बना पाए। यह पीड़ा उन्होंने रविवार को धौलपुर जिले के राजाखेड़ा में आयोजन जनसभा के दौरान उजागर की। उन्होंने तीनों विधायकों का नाम लेकर कहा कि इनकी वजह से वे आज मुख्यमंत्री हैं। जानिए कौन हैं ये तीनों विधायक।

 

पायलट खेमा छोड़कर गहलोत खेमे में आए ये तीनों विधायक

 

जुलाई 2020 में जब सचिन पायलट और उनके समर्थक 18 विधायक राजस्थान छोड़कर मानेसर चले गए थे। उन दिनों कांग्रेस विधायक चेतन डूडी, रोहित बोहरा और दानिश अबरार सचिन पायलट खेमे में थे। ये तीनों विधायक पायलट के कट्टर समर्थक माने जा रहे थे। बगावत के पहले दिन इन तीनों विधायकों के मोबाइल बंद थे। यही माना जा रहा था कि ये पायलट के साथ बाड़ेबंदी में गए हैं। इधर सरकार बचाने के लिए अशोक गहलोत ने भी जयपुर के एक होटल में बाड़ाबंदी कर ली थी। बाड़ेबंदी के दो दिन बाद ही डूडी, बोहरा और अबरार जयपुर लौट आए। तीनों ने जयपुर में आकर प्रेस कांफ्रेंस की और कहा कि वे अपने अपने काम से दिल्ली गए हुए थे। डूडी ने कहा कि वे बिजनेस के सिलसिले में दिल्ली गए थे जबकि दानिश अबरार ने कहा था कि उनका परिवार दिल्ली में रहता है। वे परिवार से मिलने गए हैं। राजाखेड़ा विधायक रोहित बोहरा ने कहा था कि उनके बच्चे दिल्ली में रहते हैं और वे अपने बच्चों से मिलने गए थे।

 

इन्हीं तीनों विधायकों ने पलट दिया पूरा खेल

 

कांग्रेस विधायक चेतन डूडी, रोहित बोहरा और दानिश अबरार ने जुलाई 2020 में कहा था कि सचिन पायलट उनके अच्छे दोस्त हैं लेकिन अगर वे बीजेपी में जाते हैं तो वे हरगिज उनके साथ नहीं जाएंगे। इन तीनों विधायकों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का समर्थन किया। डूडी, बोहरा और अबरार के वापस लौटने से सियासी घटनाक्रम का पूरा खेल बदल गया। पहले कांग्रेस के 21 विधायक सचिन पायलट के साथ थे लेकिन जब तीन विधायक वापस लौट आए तो पायलट खेमा कमजोर पड़ गया और पायलट के पास केवल 18 विधायक ही बचे। उन दिनों 3 निर्दलीय विधायक ओमप्रकाश हुड़ला, सुरेश टाक और खुशवीर सिंह जोजावर भी गायब थे। 10 निर्दलीय विधायकों और बसपा से आए 6 विधायकों के कारण गहलोत का पलड़ा भारी रहा। तमाम जद्दोजहद के बाद 14 अगस्त 2020 को पायलट खेमा राजी हुआ और विधानसभा में हुए फ्लोर टेस्ट में अशोक गहलोत ने बहुमत साबित कर दिया। अगर चेतन डूडी, रोहित बोहरा और दानिश अबरार पायलट खेमा छोड़कर गहलोत खेमे में नहीं आते तो गहलोत सरकार का बचना मुश्किल था।

 

सीएम की पीड़ा, तीनों विधायकों को नहीं बना पाए मंत्री

 

कांग्रेस विधायक चेतन डूडी, रोहित बोहरा और दानिश अबरार के बाद तीनों निर्दलीय विधायक भी अशोक गहलोत के समर्थन में आ गए थे। ऐसे में गहलोत सरकार से संकट टल गया था। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत उन सभी विधायकों के शुक्रगुजार हैं जिन्होंने सरकार बचाने में साथ दिया था। सरकार बचने के बाद सीएम गहलोत ने कहा था कि वे सरकार का साथ देने वाले तमाम विधायकों के लिए हमेशा अभिभावक बनकर काम करेंगे। डूडी, बोहरा और अबरार को अशोक गहलोत बड़ा तोहफा देना चाहते थे लेकिन अभी तक दे नहीं पाए। नवम्बर 2021 में मंत्री मंडल का विस्तार हुआ लेकिन इन तीनों विधायकों को मंत्री नहीं बनाया गया। अब गहलोत ने यह पीड़ा जाहिर की है कि वे इन तीनों विधायकों चेतन डूडी, रोहित बोहरा और दानिश अबरार को मंत्री बनाना चाहते थे लेकिन बना नहीं पाए।

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