DoIT में साढे 3 हजार करोड़ का घोटाला...! - ED या CBI ने जांच की तो भागते नजर आएंगे गहलोत :- डॉ. किरोड़ीलाल मीणा
जयपुर। शासन सचिवालय के पास योजना भवन के बेसमेंट में रखी अलमारी में 2.31 करोड़ रुपए की नकदी और 1 किलो सोना मिलने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। इस मामले को लेकर राज्यसभा सांसद डॉ. किरोड़ीलाल मीणा ने राज्य सरकार पर साढे 3 हजार करोड़ रुपए के घोटाले के आरोप लगाए हैं। बीजेपी मुख्यालय में मीडिया से मुखातिब होते हुए डॉ. मीणा ने कई तथ्य पेश किया। इन तथ्यों के आधार पर उन्होंने बताया कि सूचना एवं प्रोद्योगिकी विभाग में पिछले चार साल से लगातार करोड़ों रुपए के घोटाले हो रहे हैं। इन घोटालों की जानकारी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी है। डॉ. मीणा ने कहा कि आईटी डिपार्टमेंट में हुए घोटालों की जांच सीबीआई या ईडी से करवाई गई तो मुख्यमंत्री सड़कों पर भागते नजर आएंगे क्योंकि घोटाले की आंच मुख्यमंत्री तक पहुंचेगी।
सीसीटीवी, वीडियो वॉल और अन्य उपकरणों की खरीद में करोड़ों का घोटाला
डॉ. किरोड़ीलाल मीणा का आरोप है कि राज्य सरकार के आईटी विभाग में पिछले चार साल में करोड़ों रुपए के सीसीटीवी, वीडियो वॉल, इंडोर, आउटडोर स्क्रीन खरीदने के दर्जनों टेंडर हुए। प्रत्येक टेंडर में करोड़ों रुपए का घोटाला हुआ। टेंडर सरकार की चहेती कंपनियों को दिए गए और उन कंपनियों द्वारा भेजे गए करोड़ों रुपए के इक्युपमेंट का सत्यापन सरकारी स्तर पर नहीं किया गया। जिस कंपनी को पहले 140 करोड़ रुपए का टेंडर दिया गया। उसे बढाकर पहले 160 करोड़ और फिर 240 करोड़ रुपए कर दिया गया। जो सामान सप्लाई करना था, उनकी एवज में 40 फीसदी भुगतान एडवांश में कर दिया। हैरानी की बात तो यह है कि 50 फीसदी इक्युपमेंट सप्लाई ही नहीं हुए और उनका भुगतान कर दिया गया। डॉ. मीणा के मुताबिक जिस आईटी डिपार्टमेंट में यह घोटाला हुआ है। इसके मुखिया खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हैं। उच्चतर एजेंसी से जांच हुई तो घोटाले की आंच मुख्यमंत्री तक पहुंचेगी। अगर ऐसा नहीं होता है तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा।
नियम विरुद्ध खरीदी गई हजारों पॉश मशीनें
डॉ. मीणा का आरोप है कि प्रदेशभर के जिलों के लिए सरकार ने नियम विरुद्ध पॉश मशीने खरीद ली। उदयपुर और टोंक जिलों के जिला रसद अधिकारी से अनुमति पूछे ही मशीनें खरीद ली गई। डॉ. मीणा का आरोप है कि नियमानुसार सरकार को भारत की किसी एजेंसी से पॉश मशीनें खरीदनी चाहिए थी लेकिन आईटी डिपार्टमेंट ने केन्द्र सरकार के कॉर्पोरेट मंत्रालय की बिना अनुमति के ही 135 करोड़ रुपए की पॉश मशीनें खरीद ली गई। हैरानी की बात यह भी है कि नेशनल फर्जीलाइजर लिमिटेड ने जिस कंपनी को ब्लेक लिस्टेड कर रखा है। उसी कंपनी से पॉश मशीनों की खरीद कर ली गई।
एसीबी के डीजी ने जांच की अनुमति मांगी लेकिन CM ने अनुमति नहीं दी
डॉ. किरोड़ीलाल मीणा का आरोप है कि DoTI में हो रहे हजारों करोड़ रुपए के भ्रष्टाचार से जुड़ी पीआईएल राजस्थान हाईकोर्ट में लगी हुई है। इन घोटालों कई शिकायतें एसीबी में दर्ज हैं। डॉ. मीणा के मुताबिक एसीबी के डीजी ने फरवरी 2021 में सरकार को पत्र लिखकर डीओआईटी में हो रहे करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार की जांच की अनुमति मांगी थी लेकिन मुख्यमंत्री जी ने जांच की अनुमति नहीं दी। अलग अलग कंपनियों से खरीदे गए सीसीटीवी, वीडियो वॉल सहित अन्य डिजिटल इक्युपमेंट की खरीद में साढे 3 हजार करोड़ का घोटाला हुआ है। डॉ. मीणा का आरोप है घोटाले के करोड़ों रुपए कांग्रेस आलाकमान तक पहुंच रहा है। इसीलिए मुख्यमंत्री चुप बैठे हैं।
सिर्फ 1 जॉइंट डायरेक्टर पकड़ा जबकि आईटी डिपार्टमेंट में 89 जॉइंट डायरेक्टर और हैं
नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि राज्य सरकार संस्थागत भ्रष्टाचार में डूबी हुई है। सभी विभागों में करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार हो रहा है। राठौड़ ने कहा कि योजना भवन की एक अलमारी में जो 2.31 करोड़ की नकदी और एक किलो सोना मिला है। उस मामले में सिर्फ 1 जॉइंट डायरेक्टर वेदप्रकाश यादव की गिरफ्तारी हुई है। राठौड़ के मुताबिक आईटी डिपार्टमेंट में कुल 90 जॉइंट डायरेक्टर हैं। 30 एडिशनल डायरेक्टर हैं, 9 टेक्निकल डायरेक्टर हैं। इनके ऊपर 1 कमिश्नर, 1 फाइनेंस सेक्रेट्री, 1 एसीएस और बाद में स्वयं मुख्यमंत्री हैं। एक जॉइंट डायरेक्टर की अलमारी में करोड़ों रुपए की नकदी मिल सकती है तो अन्य अधिकारियों की जांच क्यों नहीं करवाई जा रही है। अगर केंद्रीय एजेंसी से जांच करवाई जाए तो घोटालों की सारी परतें खुल जाएगी।
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