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जयपुर नगर निगम हेरिटेज की महापौर मुनेश गुर्जर तीसरी बार सस्पेंड, अब लटकी गिरफ्तारी की तलवार - कार्यवाहक महापौर बीजेपी का बनना तय, कांग्रेस छोड़कर 10 पार्षद जा सकते हैं भाजपा में

जयपुर नगर निगम हेरिटेज की महापौर मुनेश गुर्जर तीसरी बार सस्पेंड, अब लटकी गिरफ्तारी की तलवार

जयपुर। जयपुर नगर निगम हेरिटेज की महापौर मुनेश गुर्जर को राज्य सरकार ने महापौर पद से सस्पेंड कर दिया है। स्वायत्त शासन विभाग की ओर से सोमवार 23 सितंबर की शाम को निलंबन के ऑर्डर जारी कर दिए। इन ऑर्डर में साफ लिखा है कि एसीबी की ओर से भ्रष्टाचार और रिश्वत कांड में मुनेश गुर्जर को दोषी पाया गया था। इस संबंध में उनके खिलाफ केस दर्ज है और राज्य सरकार की ओर से अभियोजन स्वीकृति भी जारी कर दी गई है। स्वायत्त शासन विभाग की ओर से मुनेश गुर्जर नोटिस देकर जवाब मांगा गया। 23 सितंबर को मुनेश ने एक नोटिस का जवाब भी दिया लेकिन जवाब संतोषप्रद नहीं था। ऐसे में राजस्थान नगर पालिका अधिनियम 2009 का 39 (6) के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुये मुनेश गुर्जर को महापौर पद से और वार्ड 43 के पार्षद पद से निलंबित किया जाता है।

 

तीसरी बार सस्पेंड हुई है मुनेश गुर्जर

 

मुनेश गुर्जर को राज्य सरकार ने तीसरी बार सस्पेंड किया है। पूर्ववर्ती सरकार ने पिछले साल दो बार सस्पेंड किया था। पहली बार तब सस्पेंड किया जब उनका पति सुशील गुर्जर पट्टा जारी करने की एवज में दो लाख रुपए की रिश्वत लेते एसीबी में पकड़ा गया था। एसीबी की कार्रवाई के दो दिन बाद ही पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने मुनेश को सस्पेंड कर दिया। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के इस फैसले को मुनेश ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। हाईकोर्ट से राहत मिली और मुनेश को फिर से महापौर पद पर काबिज होने का अवसर मिल गया। इसके करीब 20 दिन बाद राज्य सरकार ने दूसरी बार मुनेश गुर्जर को सस्पेंड किया। मुनेश गुर्जर ने फिर हाईकोर्ट की शरण ली और कोर्ट से राहत मिलने पर उन्हें फिर से महापौर बनने का अवसर मिल गया। अब तीसरी बार सस्पेंड किया गया है। इस बार राहत मिलने की उम्मीद कम है क्योंकि राज्य सरकार ने केस चलाने की अनुमति दे दी है।

 

पति के कहने पर ही हस्ताक्षर करती थी मुनेश

 

अगस्त 2023 में एसीबी ने मुनेश गुर्जर के पति सुशील गुर्जर और दो अन्य दलालों को पट्टा जारी करने की एवज में दो लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया था। तलाशी के दौरान मुनेश और सुशील के घर पर एसीबी को 41 लाख रुपए नकद मिले थे। साथ ही पट्टा जारी करने संबंधी कई फाइलें मिली थी। जांच के बाद एसीबी का कहना था कि महापौर मुनेश पट्टों पर हस्ताक्षर तब तक नहीं करती थी जब तक कि उसका पति उसे हस्ताक्षर करने के लिए नहीं कहता। पति लोगों से डील करता था और पट्टे जारी करने की एवज में लाखों रुपए लेता था। रिश्वत कांड में एसीबी ने सुशील गुर्जर के साथ उसकी पत्नी मुनेश गुर्जर को भी दोषी मानते हुए कोर्ट में चालान पेश किया है।

 

दो सप्ताह बाद होनी है कोर्ट में सुनवाई

 

एसीबी की ओर से मुनेश के खिलाफ चालान पेश कर दिया गया है। उधर मुनेश के वकील एडवोकेट दीपक चौहान ने हाईकोर्ट में याचिका प्रस्तुत करते हुए कहा कि मुनेश पर लगाए गए सभी आरोप राजनीति से प्रेरित है। एडवोकेट दीपक चौहान ने एसीबी की ओर से दर्ज की गई एफआईआर को भी चुनौती दे डाली है। उन्होंने कहा कि पीसी एक्ट में कार्रवाई होने पर डिमांड और रिकवरी होना अति महत्वपूर्ण है। मुनेश गुर्जर की ओर से एसीबी ने ना तो कोई डिमांड साबित की और ना ही कोई रिकवरी की। ऐसे में इस केस में राजनैतिक द्वैषता साफ नजर आ रही है। इस मामले में दो सप्ताह बाद हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है।

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