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गहलोत v/s पायलट - पहले अनशन किया और अब 11 मई से जन संघर्ष यात्रा निकालेंगे सचिन पायलट - 'अशोक गहलोत की नेता सोनिया गांधी नहीं बल्कि वसुंधरा राजे है' - पायलट

गहलोत v/s पायलट - पहले अनशन किया और अब 11 मई से जन संघर्ष यात्रा निकालेंगे सचिन पायलट


जयपुर। राजस्थान कांग्रेस में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच सियासी टकराव जारी है। तीन दिन पहले बाड़मेर में पायलट ने आह्वान किया था कि वे भ्रष्टाचार के खिलाफ अपना संघर्ष जारी रखेंगे और अब 11 मई से जन संघर्ष पदयात्रा निकालने का आह्वान किया है। जयपुर में अपने आवास पर मीडिया से रूबरू होते हुए पायलट ने कहा कि पहले उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाते हुए 11 अप्रैल को जयपुर के शहीद स्मारक पर अनशन किया था। अब वे जन संघर्ष यात्रा निकालेंगे। यह पद यात्रा अजमेर से रवाना होकर जयपुर पहुंचेगी। करीब 125 किलोमीटर की इस पदयात्रा में 5 दिन लगेंगे।

 


अशोक गहलोत की नेता सोनिया गांधी नहीं बल्कि वसुंधरा राजे है - सचिन पायलट 

 

 

दो दिन पहले सीएम गहलोत ने पायलट और उनके समर्थित विधायकों पर बीजेपी से 10 से 20 करोड़ रुपए लेने के आरोप लगाए थे और ये रुपए वापस लौटाने की बात कही थी। गहलोत के आरोपों का जवाब देते हुए सचिन पायलट ने कहा कि अशोक गहलोत की नेता सोनिया गांधी नहीं बल्कि वसुंधरा राजे हैं। एक तरफ तो वे बीजेपी पर सरकार गिराने का आरोप लगाते हैं और दूसरी तरफ सरकार को बचाने का श्रेय वसुंधरा राजे को दे रहे हैं। पायलट ने पूछा कि गहलोत स्पष्ट करें कि वे कहना क्या चाहते हैं। पायलट ने कहा कि मेरे साथी विधायक हेमाराम चौधरी ने बाड़मेर में 100 करोड़ रुपए की जमीन समाज के लिए दान कर दी। करोड़ों रुपए लगाकर वहां छात्रावास बना दिया। ऐसे लोगों पर झूठे और बेबुनियाद आरोप लगाना गलत और निंदनीय है।

 


कांग्रेस के नेताओं को बदमान और भाजपा के नेताओं की तारीफ क्यों कर रहे हैं गहलोत

 


सचिन पायलट ने पूछा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपनी ही सरकार, अपनी ही पार्टी के विधायकों और नेताओं को लगातार बदनाम और बेइज्जत कर रहे हैं। साथ ही  वे भाजपा के नेताओं का गुणगान कर रहे हैं। वे ऐसा क्यों कर रहे हैं। यह समझ से परे है। पायलट ने कहा कि वे पिछले ढाई साल से लगातार देख रहे हैं कि कांग्रेस के नेताओं को लगातार बदनाम किया जा रहा है। बहुत से साथियों को बड़े बड़े पद दिए गए। कुछ को मंत्री बनाया गया और कुछ साथियों को आयोगों के अध्यक्ष के साथ पार्टी में बड़े पदों पर बैठे हैं। ऐसे लोग जो पब्लिक लाइफ में रहे और अपना नाम कमाया। उन लोगों पर यह आरोप लगा देना कि आप चंद रुपयों में बिक गए। यह बहुत गलत बात है।

 


ये आरोप लगाए थे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने

 


रविवार 7 मई को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा था कि बीजेपी धनबल के आधार पर देश में सरकारें गिराने की साजिश करती रही है। कर्नाटक, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में सरकारें गिरा दी थी। राजस्थान में भी सरकार गिराने का प्रयास किया था। गहलोत ने कहा कि अमित शाह, धर्मेन्द्र प्रधान और गजेन्द्र सिंह शेखावत ने राजस्थान में भी पैसे बांट दिए। वे पैसे वापस ले नहीं रहे हैं। गहलोत ने कहा कि उन्हें चिन्ता है कि वे लोग पैसा वापस क्यों नहीं ले रहे। उन्होंने कहा कि मैने तो हमारे विधायकों को यहां तक कह दिया कि जितना पैसा लिया है 10 करोड़ या 20 करोड़ रुपए। उनमें से कुछ खर्च भी कर दिया है तो खर्च किया गया हिस्सा मैं दे दूंगा। या फिर एआईसीसी से दिलवा दूंगा लेकिन अमित शाह को पैसे वापल दो। उसका पैसा मत रखो। उसका पैसा रखोगे तो हमेशा दबाव बना रहेगा। वह गृहमंत्री भी है। वो धमकाएगा, डराएगा, जैसे गुजरात में डराता धमकाता है। गहलोत ने कहा कि महाराष्ट्र में धमका धमका कर शिवसेना के दो टुकड़े कर दिए। गहलोत ने कहा कि अमित शाह बहुत खतरनाक खेल खेल रहे हैं। गहलोत का यह बयान सचिन पायलट और उनका समर्थन करने वाले विधायकों पर सीधा रुपए लेने का आरोप था।

 


जुलाई 2020 की बगावत के दौरान हुई थी साजिश

 


जुलाई 2020 में सचिन पायलट और उनके समर्थित 21 विधायक राजस्थान छोड़कर मानेसर चले गए थे। उन दिनों गहलोत सरकार संकट में का गई थी। सरकार बचाने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को विधायकों की बाड़ेबंदी करनी पड़ी। बाड़ेबंदी के दो दिन बाद ही तीन विधायक पायलट खेमा छोड़कर गहलोत खेमे में आ गए थे। बाद में तीन निर्दलीय विधायक भी गहलोत के समर्थन में आ गए और सचिन पायलट के कट्टर समर्थक माने जाने वाले तत्कालीन कांग्रेस विधायक (अब दिवंगत) भंवरलाल शर्मा भी गहलोत के पाले में आए तो पायलट खेमा कमजोर पड़ गया। सरकार बचाने के लिए गहलोत को 34 दिन तक विधायकों के साथ होटल में रहना पड़ा। 14 अगस्त 2020 को गहलोत ने राजस्थान विधानसभा में बहुमत साबित किया और सरकार बच गई थी।

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